बड़ा सवाल: क्या भाजपा में टांग खिचाई की परम्परा को खत्म कर सकेंगें नए जिलाध्यक्ष

शिवपुरी। लंबे समय से भाजपा के अंदर टांग खिचाई की पर परा चली आ रही है। इसी परम्परा के कारण ही नगरपालिका से लेकर जनपद पंचायत और जिला पंचायत के पदों पर कांग्रेस काबिज है। देश और प्रदेश में भले ही भाजपा की सत्ता है लेकिन इलाके का न तो कोई भाजपा सांसद है और पांच विधानसभा सीटों में से भी तीन पर कांग्रेस काबिज है।

जिले की बात करें तो नगर पंचायतों और जनपद पंचायतों में भी भाजपा की तुलना में कांग्रेस का पलड़ा भारी है। इसलिए इन परिस्थितियों में भाजपा के नये जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी ने कांटों का ताज पहना है। भाजपा को पटरी पर लाने के लिए उन्हें समूची पार्टी को एकसूत्र में बांधने का दुष्कर कार्य संपादित करना है।

सवाल यह है कि क्या नये जिलाध्यक्ष पार्टी को गुटबाजी के चंगुल से मुक्त करा पाएंगे और जिलाध्यक्ष के रूप में एक नये इतिहास का सृजन करेंगे।

जहां तक भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी की ताजपोशी का सवाल है तो पार्टी ने एक समर्पित कार्यकर्ता को जि मेदारी सौंपकर अच्छा संदेश देने का प्रयास किया है। संशील रघुवंशी निवर्तमान जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत की कार्यकारिणी में महामंत्री का पदभार संभाले हुए थे और कार्यकर्ताओं से उनका अच्छा समन्वय एवं संपर्क रहा है।

यही कारण रहा कि उनके जिलाध्यक्ष बनने की घोषणा का कुछ मठाधीशों ने भले ही विरोध किया हो लेकिन भाजपा के आम कार्यकर्ता ने इस फैसले का स्वागत किया। सुशील रघुवंशी रणवीर सिंह रावत के राइट हैंड माने जाते थे।

सुशील रघुवंशी भाजपा की गुटबाजी में नरेन्द्र सिंह तोमर खेमे का प्रतिनिधित्व करते हैं इसी कारण यह माना जाता है कि सुशील रघुवंशी भी नरेन्द्र सिंह तोमर खेमे के हैं लेकिन सच्चाई यह है कि यह तथ्य अद्र्ध सत्य है। श्री रघुवंशी के जिलाध्यक्ष बनने का उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी स्वागत किया और सुशील रघुवंशी ने जिले की राजनीति के दोनों प्रभावशाली नेताओं से तालमेल बनाने का कौशल भी दिखाया।

एक ओर वह श्री तोमर खेमे के कार्यकर्ताओं के साथ ग्वालियर जाकर नरेन्द्र सिंह तोमर से मिले और उनसे आशीर्वाद लिया वहीं सुशील रघुवंशी ने भोपाल जाकर यशोधरा राजे सिंधिया से भी आशीर्वाद ग्रहण किया।

इस विश्वास का परिणाम यह हुआ कि शिवपुरी की समस्याओं के लिए यशोधरा राजे के निर्देशन में भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी के नेतृत्व में मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपा गया उस मौके पर भाजपा के अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे।

श्री रघुवंशी के पदभार ग्रहण समारोह में भी जिलेभर के सैंकड़ों कार्यकर्ता पधारे लेकिन उस मौके पर पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन, ओमप्रकाश खटीक तथा नरेन्द्र बिरथरे की अनुपस्थिति भाजपा में गुटबाजी को प्रतिबि िवत करने वाली दिखी। भाजपा जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में तीनों पूर्व विधायक शामिल थे। वहीं उस मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष राजेन्द्र निगम नजर नहीं आये लेकिन उनकी टीम के कुछ प्रमुख सदस्यों की पदभार ग्रहण समारोह में उपस्थिति थी।

इसलिए स्थानीय स्तर पर भाजपा की गुटबाजी समाप्त करने के लिए सुशील रघुवंशी को काफी मेहनत करनी होगी। पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन से तो उनका पुराना 36 का आंकड़ा रहा है। दोनों ही कोलारस विधानसभा क्षेत्र से हैं और सूत्र बताते हैं कि जब देवेन्द्र जैन विधायक थे उस दौरान सुशील रघुवंशी ने इलाके में अपने आपको काफी उपेक्षित महसूस किया था।

इस सबके बावजूद अधिकांश कार्यकर्ताओं का समर्थन सुशील रघुवंशी की सबसे बड़ी ताकत है। उनके कार्यकाल की दिशा क्या रहेगी यह उनकी नवीन कार्यकारिणी के स्वरूप से जाहिर होगी। निवर्तमान जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत के कार्यकाल में सुशील रघुवंशी के अलावा जगराम सिंह यादव और ओमप्रकाश शर्मा गुरू महामंत्री के पद पर आसीन थे। इनमें से क्या दोनों अपना स्थान बनाये रख पाएंगे यह प्रमुख सवाल है।

महामंत्री के अलावा उपाध्यक्ष और जिला मंत्री के पद पर भी कई निष्क्रिय कार्यकर्ता पूर्व कार्यकारिणी में काबिज रहे थे। उनके स्थान पर सुशील रघुवंशी किसे जि मेदारी सौंपेंगे यह भी देखने की बात रहेगी।

कार्यकारिणी में नरेन्द्र सिंह तोमर और यशोधरा राजे सिंधिया खेमे के साथ कैसे समन्वय वह बनाएंगे इससे भी उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन होगा और सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के प्रमुख भाजपा नेतागण देवेन्द्र जैन, ओमप्रकाश खटीक, नरेन्द्र बिरथरे से महारथियों से यदि वह तालमेल बिठा पाये तो जिले की भाजपा को शायद वह एक नई दिशा दे पाएंगे।