सिर्फ पार्षदो से क्यों वोट का हक, नपाध्यक्ष, विधायक और सांसद को क्लिनचीट क्यों...

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शिवपुरी। जनता ने वोट पार्षद, नपाध्यक्ष, विधायक और सांसद को भी दिए है और उनके वोटो को लेकर ही ये सभी चुनाव जीते है,परन्तु इस भंयकर जलसंकट में जनता सिर्फ पार्षदो से ही अपने वोट का हक मांग रही है। उन्है सोने में भी नही दे रही है।

इस समय शिवपुरी नगर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और जनता पानी पी-पीकर केवल पार्षदो को ही कोस रही है,पानी नही है पार्षद को ही फोन लगा रही है,घर में पानी नही है वार्ड का पार्षद फैल है,कर दो पार्षद पर चढाई और मांगो अपना वोट का हिसाब।

इस भयकर जलसंकट के इस दौर में वार्ड 5 के पार्षद ने तो इस्तीफा देने के पेशकश भी कर दी और वे इस्तीफा भी दे आए,इस मामले में एक पार्षद ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि क्या जनता ने हमे ही वोट देकर चुना है।

बाकी प्रतिनिधि चाहे वो नपाध्यक्ष हो, या विधायक या सांसद, उन्है जनता ने ही चुना है जनता उनसे अपना वोट का हक मांगने क्यो नही जाती। उन्है भी जनता के वोट से जीत हाासिल हुई है।

पार्षद के हाथ में क्या नपा के टैंकर और बोरो में गिरता जलस्तर कैसे जनता को कैसे पानी दे। हर वार्ड में कुछ वीआईपी लोग रहते है उन्है पूरा टेंकर चाहिए कैसे दे उन्है टेंकर ना दो तो वही आरोप लगाते घुमते है।

नपाध्यक्ष की कछुआ चाल बाली काय्रप्रणाली से पूरा शहर जनता है अगर बोर की मोटर खराब हो जाऐ तो 7 दिन से पहले नही डलनी।  नपा पर पर्याप्त पाईप स्र्टाटर और मोटर नही है। अभी तक स्ट्रीट लाईटे नही आई तो कैसे रोडो और मोहल्लो में रोशनी हो।

पार्षदो के पास क्या अधिकार है केवल वह अपने वार्ड की समस्या के लिए आवेदन से नपा को अवगत कर सकता है स्वीकृत करना तो नपाअध्यक्ष और सीएमओ के हाथ में है।

विधायक महोदय ने एक हजार बार कह दीया कि सिंध आने वाली है परन्तु क पनी ही भाग गई इसमें क्या पार्षदो की गलती है। जनता नपाध्यक्ष और विधायको के घर मटके क्यो नही फोडती है। सांसद को भी अपनी समस्याओ के लिए फोन कर सकती है। सरकार में क्या पार्षद बैठै ही पार्षद ही सबसे ज्यादा सुलभ है जो चढ जाती है जनता पार्षदो पर।

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