नपा क्वार्टर मामले में अब गिरेगी नपाध्यक्ष व पूर्व पीआईसी सदस्यों पर गाज!

शिवपुरी। नगरपालिका के 74 क्वार्टरों में अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ जनहित याचिका का निवारण करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में नगरपालिका के उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया है जिन्होंने वर्ष 98 में परिषद द्वारा लिये गए निर्णय के विपरीत नगरपालिका क्वार्टरों में अवैध रूप से रह रहे लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए क्वार्टर खाली करने हेतु एसडीएम न्यायालय में चल रहे प्रकरण वापिस ले लिए थे।

हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में दोषी लोगों के विरूद्ध नगरपालिका अधिनियम की धारा 41 के तहत नोटिस जारी किए जाएंगे और जवाब संतोषजनक न होने पर उन्हें पद से हटाया जा सकता है। 

प्रभारी सीएमओ अशोक शर्मा ने बताया कि ऐसे लोगों के नाम कलेक्टर और शासन को भेजे जा रहे हैं। कार्रवाई की जद में नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना और तत्कालीन पीआईसी के सदस्य पार्षद मथुरा प्रसाद प्रजापति, रहीस खान, भोपाल सिंह दांगी, नीरज बेडिय़ा, श्रीमती मीना बाथम आदि हैं। प्रकरण वापिस लेने के पीआईसी के आदेश का क्रियान्वयन उस समय के सीएमओ रामनिवास शर्मा ने किया था।  

प्राप्त जानकारी के अनुसार एडवोकेट विजय तिवारी द्वारा नपा क्वार्टरों में अनाधिकृत रूप से रह रहे कर्मचारियों से क्वार्टर खाली कराने को लेकर एक जनहित याचिका लगाई गई थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 1.10.2013 को आदेश पारित करते हुए 4 बिंदुओं पर अपना फैसला सुनाया जिसमें पहला बिंदु नपा क्वार्टरों में अनाधिकृत रूप से रह रहे लोगों को तीन माह के अंदर बाहर निकाला जाए और क्वार्टरों खाली कराये जायें तथा बिंदु क्रमांक 2 में उन अपात्र लोगों से बाजार दर से किराया बसूल किया जाए। उच्च न्यायालय के इस आदेश का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। 

अभी तक आधा दर्जन अपात्र लोगों से क्वार्टर खाली करा लिए गए हैं और शेष प्रक्रिया इसलिए रोक दी गई है। क्योंकि तहसीलदार अन्य शासकीय कार्यों में व्यस्त हैं। इससे अपात्र रूप से रह रहे लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन माननीय उच्च न्यायालय के बिंदु क्रमांक 3 के आदेश से नपाध्यक्ष, तत्कालीन पीआईसी सदस्य और उस समय के सीएमओ की परेशानी बढ़ गई है। सूत्र बताते हैं कि आज प्रभारी सीएमओ रामनिवास शर्मा ने क्वार्टर खाली कराने का प्रकरण वापिस लेने के दोषी लोगों के नाम कलेक्टर को सौंपे हैं। वहीं एक सूची शासन को भेजी है। यदि उच्च न्यायालय के निर्णय पर अमल हुआ तो दोषी लोगों के खिलाफ नपा अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया जाना तय है और वे अपने पद से हाथ धो सकते हैं।

नपा ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में नहीं दिखाई दिलचस्पी
नगरपालिका और प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के आयुक्त संजय कुमार शुक्ला ने कलेक्टर को 19 मई 2014 को लिखे पत्र में विजय तिवारी बनाम राज्य शासन के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय पर कार्रवाई किए जाने हेतु पत्र लिखा है। इस पत्र के तारत य में प्रकरण वापिस लेने के लिए दोषी नपाध्यक्ष और तत्कालीन पीआईसी सदस्यों द्वारा पारित प्रस्ताव के संदर्भ में नियमानुसार कार्रवाई करने की अपेक्षा की गई। 

पत्र में यह भी लिखा था कि यदि शासन या संचानालय स्तर पर कोई कार्रवाई अपेक्षित है तो वह स्पष्ट अभिमत सहित पहुंचवाएं। लेकिन अभी तक जिला प्रशासन और नपा प्रशासन ने कोई भी जानकारी राज्य शासन को नहीं पहुंचवाई है। अब यह मामला तूल पकडऩे लगा है तो कलेक्टर आरके जैन ने उन लोगों के नामों को नगरपालिका से मांगा है जिस पर आज प्रभारी सीएमओ अशोक शर्मा उन नामों को कार्रवाई के लिए कलेक्टर को भेजेंगे। जिसमें नपा अधिनियम की धारा 41 के तहत पीआईसी सदस्यों पर कार्रवाई होना तय है।

कहीं पूर्व सीएमओ पर भी ना गिर जाए गाज
परिषद के निर्णय को पीआईसी ने दरकिनार कर नपा के क्वार्टरों को खाली कराने के प्रकरण को एसडीएम कोर्ट में लगाकर वापिस लेने का जो प्रस्ताव पारित किया। उसमें पीआईसी सदस्यों सहित अध्यक्ष कार्रवाई की जद में आई हैं। इस प्रकरण में एसडीएम डीके जैन ने संचालक नगरीय प्रशासन को लिखे पत्र में तत्कालीन सीएमओ रामनिवास शर्मा एवं संबंद्ध कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशानात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। जबकि तत्कालीन सीएमओ रामनिवास शर्मा अपने आप को निर्दोष बताते हैं और कहते हैं कि शिवपुरी प्रशासन अध्यक्ष और पीआईसी सदस्यों को बचाने के लिए मामले से ध्यान भटकाने के लिए अनर्गल पत्र लिखकर मुझे फंसाने के लिए योजना तैयार कर रहे हैं। 

जबकि पीआईसी द्वारा जो निर्णय लिया गया है उसमें पीआईसी के सदस्य ही दोषी हैं। श्री शर्मा ने कहा कि उन्होंने उस वक्त भी पीआईसी के प्रस्ताव का विरोध किया था और माननीय उच्च न्यायालय ने अवैध प्रस्ताव पारित करने वाले पीआईसी सदस्यों के विरूद्ध कार्रवाई करने को कहा है, लेकिन राजनैतिक दबाववश उनके विरूद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही है।