सिंध परियोजना के क्रियान्वयन पर फिर लगेगा अड़ंगा!

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शिवपुरी। माननीय उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका निराकरण करते हुए मु य वन संरक्षक के उस आदेश को भले ही रद्द कर दिया। जिसमें नेशनल पार्क क्षेत्र में शर्तों के उल्लंघन पर पाईप लाइन डालने और खुदाई पर रोक लगा दी थी, लेकिन सूत्र बताते हैं कि माधव राष्ट्रीय उद्यान के संचालक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने की तैयारी में हैं और सर्वोच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ पुर्नावलोकन याचिका दायर करने जा रहे हैं।

श्री गौड ने इस संवाददाता से चर्चा करते हुए बताया कि वह इसके बारे में वैधानिक सलाह ले रहे हैं और सलाह मिलते ही वह हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे। उनका तर्क है कि भारत सरकार ने नेशनल पार्क क्षेत्र में सिंध परियोजना के काम के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय की एम पॉवर कमेटी की शर्तों के आधार पर अनुमति दी थी और उन शर्तों के उल्लंघन के आधार पर ही अनुमति निरस्त की गई है। ऐसे में कोई भी निर्णय माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही लिया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि गत दिवस उच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन हेतु जिला कलेक्टर ने संबंधितों की बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में स्पष्ट रूप से माधव राष्ट्रीय उद्यान के संचालक शरद गौड ने अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 1 साल पहले संचालक शरद गौड ने नेशनल पार्क क्षेत्र में सिंध परियोजना के काम में रोक लगाते हुए खुदाई और पाईप लाइन डालने के कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था। उनके अनुसार खुदाई के दौरान  पेड़ काटे गए थे और यह स्पष्ट रूप से अनुमति के लिए दी गई शर्तों का उल्लंघन था। इस मामले को लेकर जनहित में अभिभाषक पीयूष शर्मा ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली और माननीय न्यायमूर्ति एसके गंगेले और न्यायमूर्ति बीडी राठी की खण्डपीठ ने आदेश दिया कि मु य वन संरक्षक के आदेश को निरस्त किया जाता है ताकि तय समयसीमा में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा किया जाए और शहरवासियों को पेयजल मिल सके, लेकिन इस आदेश के बाद भी सिंध परियोजना का काम दो कारणों से शुरू नहीं हो रहा है।

एक तो क्रियान्वयन ऐजेंसी दोशियान कंपनी बढ़ी हुई दर मांगकर काम करने में अनिच्छा जाहिर कर रही है। कंपनी ने अपने सारे कर्मचारियों को शिवपुरी से हटा दिया है और बोरी-बिस्तर बांधकर कलकत्ता चली गई। कंपनी को ठेकेदारों को लाखों रूपये का भुगतान भी देना है, लेकिन जिला प्रशासन की स ती के कारण सूत्र बताते हैं कि कल कंपनी के मैनेजर हीरेन मकवाना कलेक्टर द्वारा काम शुरू करने के लिए बुलाई बैठक में आए। इस बैठक में कलेक्टर ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देकर कहा कि यदि काम शुरू नहीं हुआ तो अवमानना की कार्रवाई प्रारंभ हो सकती है। इस पर श्री मकवाना तो शरणागत् हुए, लेकिन संचालक शरद गौड ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए कानूनी सलाह ले रहे हैं।

इनका कहना है
उच्च न्यायालय के फैसले से विभाग को अवगत करा दिया गया है और फैसले के रिव्यू के लिए कानूनी सलाह ली जा रही है। कानूनी सलाह मिलने के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय में जाने अथवा न जाने का फैसला लिया जाएगा।
शरद गौड
संचालक माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी

सिंध परियोजना में अड़ंगे के लिए माधव राष्ट्रीय उद्यान के संचालक दोषी हैं। उन्होंने नियम विरूद्ध कार्य कर परियोजना के काम को रोका है। नियमानुसार यदि माननीय सर्वोच्च न्यायालय की एम पॉवर कमेटी की शर्तों का कोई उल्लंघन हुआ है तो श्री गौड को इसे एम पॉवर कमेटी को अवगत कराना चाहिए था, लेकिन उन्होंने स्वयं अनुमति को निरस्त कर गैर कानूनी कार्य किया है।
पीयूष शर्मा एडवोकेट
याचिकाकर्ता

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