बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा मेडीकल कॉलेज

शिवपुरी। खेड़ापति कॉलोनी स्थित शिवालय पैरामेडीकल कॉलेज में छात्रवृत्ति और शिक्षा को लेकर कई दिनों से आरोप उछल रहे थे। जब इस कॉलेज की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी गई तो उनके द्वारा इस कॉलेज की जांच के लिए एक समिति गठित की गई। समिति द्वारा जांच में पाया गया कि उक्त कॉलेज किसी भी तरह से पात्र नहीं है। इस कॉलेज के छात्र-छात्राऐं प्रेक्टिस के लिए सरकारी अस्पताल में नहीं जाते।

इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी अस्पताल में प्रेक्टिस के लिए सीएमएचओ से अनुमति ली जाती है लेकिन कॉलेज की पात्रता ना होने के कारण सीएमएचओ द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई साथ ही कॉलेज प्रबंधन ने छात्रवृत्ति के लिए जो प्रस्ताव भेजा था उस पर भी जांच समिति ने रोक लगा दी है साथ ही जांच समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। उल्लेखनीय है कि निजी पैरा मेडीकल कॉलेज स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा विभागों को अधार बनाकर 398 छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पने की कोशिश में लगा है। शिवालय पैरा मेडीकल कॉलेज नाम का यह कालेज शिवपुरी की झांसी रोड स्थित खेड़ापति कॉलोनी में चलते हुए बताया जा रहा है। 

लेकिन इस कॉलेज का पता न बस्ती वालों को है और न ही डाक विभाग को। इस कालेज में 90 फीसदी छात्र अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन-जाति और पिछड़ा वर्ग के बताए गए है। जबकि सामान्य वर्ग के महज 10 फीसदी छात्र है। सवर्ण जाति के छोड़ शेश छात्रों को छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है। प्रत्येक छात्र को करीब 12 से 15 हजार रूपए बतौर छात्रवृत्ति दी जानी है। मजेदार बात यह है कि इन छात्रों में शिवपुरी का एक भी छात्र नहीं है। सीएमओएच शिवपुरी की अनुमति के बिना कोई कालेज चल नहीं सकता। सीएमओ उच्चरीया का कहना है कि हमने कोई अनुमति इस कालेज को नहीं दी है। हैरानी है बावजूद इसके छात्रवृत्ति का प्रकरण पीजी विज्ञान महाविद्यालय में छात्रवृत्ति के पात्र छात्रों के सत्यापन और छात्रवृत्ति देने की सिफारिश के लिए भेज दिया गया। पीजी कालेज के प्रचार्य डीके द्विवेदी ने मामले की जांच के लिए तीन प्रोफेसर की समिती बनाई है। इसमें महेंद्र जाटव,गुलाब सिंह और पुनीत श्रीवास्तव शामिल हैं। 

इस समिति ने जब छात्रों की पात्रता का कूट परीक्षण किया तो पाया कि कालेज के पास न तो कोई प्रयोगशाला है और न ही छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर की सुविधा है। पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। इसके पहले जब पत्राचार के माध्यम से जानकारी मांगी गई तो डाक विभाग ने डाक यह कहकर लौटा दी कि इस पते पर कोई पैरा मेडिकल कालेज नहीं है। बाद में खुद कालेज के प्राचार्य जो भिण्ड के बताए जाते है ने डीके द्विवेदी और समिती के सदस्यों से मिलकर छात्रवृत्ति के प्रकरण को साधे मिलकर आगे बढ़ाने को कहा। लेकिन इस समिती ने फॉर्म के साथ जो विसंगतियां पायी उसके अधार पर इस गड़बड़झाला में फंसने से इंकार कर दिया। यहां तक की कालेज प्राचार्य धमेंद्र जैन छात्रों की फीस की रसीद भी नहीं दिखा पाए। पूछने पर बोले कि वे जन-कल्याण के लिए मुक्त शिक्षा देते है। सूत्रों के मुताबिक इस कालेज में जो छात्र पढ़ते बताए गए है वहीं छात्र डबरा,दतिया,ग्वालियर,मुरैना और भिंड के कालेजों में भी पढ़ते बताए गए है। जाहिर है, कि ये पैरामेडीकल कालेज कोई बड़ा रैकेट चला रहा है, जो केवल छात्रवृत्ति हड़पने के लिए इन कालेजों का संचालन कर रहा है। तय है,यह रैकेट व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल की तर्ज पर काम कर रहा है। इसकी जानकारी लोकायुक्त पुलिस को भी मिल गई है जिसने प्रदेश भर के पैरामेडीकल कालेजों की जांच शुरू कर दी है। कालेज के संचालक समिती के लोगों को धमका भी रहे है और लालच भी दे रहे है। यही काम वे स्वास्थ्य विभाग के संबंधित लोगों के साथ कर रहे हैं।