नामांतरण और डायवर्सन की रोक के कारण,पंजीयन विभाग इस साल 12 करोड़ के घाटे मे

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शिवपुरी। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दस्तावेजों के पंजीयन में लगी रोक के हटने के बाद भी कम से कम शिवपुरी जिले में पंजीयन विभाग की आय में कोई इजाफा नहीं हुआ है। इसका मु य कारण यह है कि प्रशासन द्वारा नामांतरण में प्रतिबंध और डायवर्सन में अवरोध लगा दिया गया है।

जिससे दस्तावेजों का पंजीयन कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आंकड़े देखें तो 1 अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक पिछले वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत दस्तावेजों का पंजीयन कम हुआ है। वहीं आय में लगभग 12 करोड की गिरावट आई है। इस अवधि में विभाग द्वारा शिवपुरी जिले का लक्ष्य जहां 59 करोड़ रूपये निर्धारित किया गया था वहीं आय में 18 प्रतिशत की गिरावट होकर 47 करोड़ की आय ही अर्जित की गई है।

पूरे प्रदेश में पंजीयन विभाग की आय में गिरावट माननीय उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद आई जिसके तहत दस्तावेजों के पंजीयन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बिना डायवर्सन और बिना नामांतरण के दस्तावेजों का पंजीकरण करने से उपपंजीयक को रोक दिया गया था। इस रोक को हटाने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका पेश की गई और प्रदेश शासन ने भी रोक हटाने के लिए उच्च न्यायालय की शरण ली। तर्क दिया गया कि दस्तावेजों के पंजीयन में प्रतिबंध से सरकारी राजस्व में गिरावट आ रही है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने दस्तावेजों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।

इससे आशा बंधी कि अब निवेशक पुन: जमीनी कारोबार में लौटेंगे और सरकारी राजस्व में गिरावट नहीं आएगी। ऐसा होता भी, लेकिन शिवपुरी जिले में प्रशासन ने जमीनों का डायवर्सन करने पर एक  तरह से रोक लगा दी और बिना डायवर्टेट भूखण्डों का नामांतरण करने से इनकार कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि बिना डायवर्टेट भूखण्ड खरीदने वाला अपना नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं करा सकता और वह अपने भूखण्ड को बेचना चाहे तो चूंकि उसका नामांतरण नहीं है इसलिए बेच भी नहीं सकता। इसका परिणाम यह हुआ कि जमीनी कारोबार से निवेशकों ने अपना मुंह मोड़ लिया और वह शेयर मार्केट तथा बुलियन मार्केट की ओर कूच कर गए।

आज स्थिति यह है कि उप पंजीयक कार्यालय में सन्नाटा छाया रहता है और दस्तावेजों के पंजीयन की सं या में भी काफी कमी आई है। इसे देखते हुए पंजीयन विभाग ने 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक आय का लक्ष्य विगत वर्ष की भांति 59 करोड़ रूपये ही निर्धारित किया है और जमीनों तथा मकानों के मूल्यों में भी कहीं-कहीं वृद्धि यदि की गई है तो वह नाम मात्र की है। इसके बाद भी आसार अच्छे नहीं हैं और पंजीयन विभाग शिवपुरी जिले में आय के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा? इसकी संभावना काफी धूमिल नजर आ रही है।

प्रशासन अवैध कारोबारियों पर क्यों नहीं करता कार्रवाई?
डायवर्सन और नामांतरण में प्रतिबंध प्रशासन ने शायद इसलिए लगाया है ताकि अवैध भूखण्डों की खरीद फरो त रोकी जा सके तथा अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया जा सके। इसके स्थान पर प्रशासन को अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रहना चाहिए था। इस मार्ग पर यदि प्रशासन बढ़ता तो सरकारी राजस्व को नुकसान नहीं पहुंचता।


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