शिवपुरी। शहर में जितनी त्राहि त्राहि हो, नगरपालिका के नेताओं का उतना भला। हर समस्या में इनकम सोर्स तलाशने में माहिर नेताओं एवं अफसरों की अवैध प्राइवेट लिमिटेड ने मोटर मैंटेनेंस के करोड़ों के काम के टुकड़े टुकड़े कर डाले। सिर्फ इसिलए ताकि अपनों को उपक्रत किया जा सके और लाखों की कमाई भी।
शिवपुरी नगरपालिका में कमीशन का कारोबार किसी से छिपा नहीं है। ठेकेदारों ने नगरपालिका अध्यक्ष जगमोहन सिंह सेंगर तक को कमीशन थमा दिया था। उन्होंने कमीशन को जनहित में लगा दिया परंतु कमीशन प्रथा बंद कराने का दम उनमें भी नहीं था।
कमीशन का यह कारोबार बदस्तूर जारी है। रिशिका अष्ठाना के अध्यक्ष बनते बनते उन तमाम चीजों पर भी कमीशन का कारोबार शुरू हो गया है जहां पहले कभी नहीं हुआ करता था या जो कामकाज बाबुओं के बच्चों की मिठाई के लिए छोड़ दिए जाते थे। ऐसे ही एक एनओसी मामले में सीएमओ ताजा ताजा बेदखल हुए हैं।
फिलहाल मामला मोटर मैंटेनेंस का है। गर्मियां आ गईं हैं। मोटरें खराब होंगी। उन्हें निकालने और सुधारकर वापस डालने का काम लगातार चलेगा। पानी की सप्लाई नहीं होगी तो हाहाकार भी होगा अत: काम आवश्यक सेवाओं की तरह किया जाना है। वित्तीयवर्ष 2012—2013 में इस काम पर नगरपालिका ने 1 करोड़ रुपए खर्चा किया था।
अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इस साल कामकाज दुरुस्त रहे इस हेतु किसी बड़ी कंपनी के साथ सशर्त अनुबंध किया जाना चाहिए था ताकि कम कीमत पर बेहतर काम हो सके और लोगों को परेशानी ना हो परंतु नगरपालिका ने ऐसा नहीं किया।
पूरे काम को टुकड़ों में बांट दिया गया है। एक मोटर को निकालने और डालने के काम का किसी ठेकेदार को 1299 रुपए में अनुबंधित किया गया है तो किसी को 3000 रुपए में। समझ नहीं आ रहा कि एक ही काम के लिए दो अलग अलग दाम क्यों और दस बीस ठेकेदार भी क्यों।
नियम तय कीजिए, शर्तें बनाइए, टेंडर बुलाइए और फिर दीजिए सही कंपनी को पूरा काम। नियम और शर्तों में तो इतनी ताकत होती है कि वो अच्छे अच्छों को धूल चटा दे, तो किसी कंपनी की लापरवाही का सवाल ही नहीं उठता, परंतु ऐसा नहीं किया गया। चोरी चोरी चुपके चुपके काम बांटा जा रहा है।
क्यों बांटा जा रहा है, अब शायद बताने की जरूरत नहीं। जनता से टैक्स लगाकर की गई कमाई को गटकने के लिए। जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा गटकने के लिए।
गर दर्द हो कोई तो सिसकना दुबक दुबक के
आपकी हर आह पर कमाई कर लेते हैं ये