अगर ऐसे ही कांग्रेसी आपस में भिड़े तो कैसे करेंगें मिशन फतह

शिवपुरी- राजनीति का ऊंट कब करवट बदल ले कुछ कहा नहीं जा सकता, ऐसे में प्रदेश में सत्ता की ललक पाले कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी से कैसे सत्ता हासिल होगी इसे समझा जा सकता है। बात है जिले की विधानसभा सीट पोहरी, करैरा और अब कोलारस की जहां स्थानीय उ मीदवार की मांग जोर पकडऩे लगी है।
इन कांग्रेसियों का मानना है कि नए चेहरे को भी अवसर दिया जाए। हालांकि प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में अभी समय है और यहां सिंधिया खेमा जो प्रत्याशी खड़ा कर दे उस पर ही विजय हासिल करने के लिए कांग्रेस जुट जाऐंगें ाले ही वह अंदरूनी रूप से उस प्रत्याशी को हराने में भी कोई कोर कसर नहीं छोंड़ेंगें।

विधानसभा चुनावों की बात करें तो स्थानीय उ मीदवार की मांग तो अब हर जगह ही जोर पकड़ रही है। भले ही सिंधिया के आश्वासन अनुसार कि जीतने वाले उ मीदवार को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा लेकिन वर्तमान हालातों पर गौर करें तो कहीं से कहीं तक कांग्रेसी एकजुट नजर नहीं आते और आपस में ही टांग खिचंाई करने में लगे है। बात चाहे पोहरी में हरिबल्लभ के विरोध की हो या करैरा में अब शकुन्तला खटीक की या फिर कहें कि कोलारस में भी अब दादा पर कांग्रेसियों ने नजरें चढ़ा ली और गत दिवस दिल्ली में जाकर सिंधिया से भी यह शिकायत जड़ की कि उ मीदवार स्थानीय हो।

अब रही बात शिवपुरी और पिछोर की तो यहां तो पहले से ही दावेदारों की सूचना में अपना स्थाना के.पी.सिंह पिछोर और पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी शिवपुरी बनाए हुए है। शिवपुरी में संभावना जताई जा रही है कि यशोधरा भाजपा से चुनाव लड़ सकती है ऐसी विकट परिस्थितियों में भी वीरेन्द्र पीछे पैर खींचने वालो में नहीं और देखा जाए तो यहां कांग्रेसियों ने ही उन्हें बलि का बकरा बनाने में कोई  कसर नहीं छोड़ी। अब रही बात महाराज के आदेश की तो संभावना है कि आगामी शिवपुरी दौरे में वह कुछ चेहरों को सामने भी जा सकते है इसके लिए भी जोड़तोड़ शुरू हो चुकी है।

देखा जाए तो विधानसभा चुनाव की पूर्व बेला में जिले में कांग्रेस अपने अंर्तद्वंदों में इस हद तक डूबी हुई है कि कांग्रेसियों का पहला विरोध भाजपा से नहीं, बल्कि अपने ही साथियों से है। कांग्रेस राजनीति में इस समय नकारात्मक राजनीति के दर्शन हो रहे हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में टिकट के संभावित दावेदारों के खिलाफ कांगे्रसियों ने एकजुट होकर मोर्चा संभाल लिया है। पोहरी में तो काफी समय से कांग्रेसियों ने हरिवल्लभ विरोध की अग्नि को प्रज्जवलित कर रखा है।

करैरा में शकुंतला खटीक  के खिलाफ सारे दावेदार एक मंच पर आ गए हैं तथा अब कोलारस में पिछले चुनाव में पराजित हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामसिंह यादव के खिलाफ एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ कांग्रेसियों ने झण्डा थाम लिया है। विरोध की इस अग्रि से यदि शिवपुरी में पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी बचे हुए हैं तो इसके भी अपने कारण हैं। रघुवंशी विरोधी उन्हें यशोधरा राजे के मुकाबले चुनाव में खड़ा कर बलि का बकरा बनाने का मंसूबा पाल रहे हैं।

सवाल यह है कि यदि जल्द ही कांग्रेस में स्थिति नहीं सुधरी तथा केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य खेमों के वरिष्ठ कांगे्रसियों ने संयुक्त रूप से बैठक आयोजित कर कांग्रेसियों पर लगाम नहीं कसी तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होना तय है। शिवपुरी जिले की कांग्रेस राजनीति में निश्ििचत रूप से सिंधिया खेमे का वर्चस्व है। यह बात अलग है कि यहां पिछले दो चुनावों से जो एक मात्र विधायक केपी सिंह पिछोर से निर्वाचित हुए हैं वह दिग्गी खेमे से हैं। कांग्रेस में समस्या मु य रूप से सिंधिया खेमे में हैं। सिंधिया खेमे के कांग्रेसी एक-दूसरे की टांग खींचने में पूरी ताकत से लगे हुए हैं।

इसका फायदा दिग्गी खेमा उठा रहा है और अब इस खेमे के सिपहसालार कह रहे हैं कि टिकट जीतने योग्य प्रत्याशी को मिलेगा भले ही वह किसी भी खेमे से क्यों न हो। सैद्धांतिक रूप से यह ठीक भी है। सिंधिया खेमे में इन दिनों जो चल रहा है उससे स्पष्ट है कि इससे जुड़े कांग्रेसी अपने गॉड फादर ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी प्रत्याशी चयन की दृष्टि में सशर्त समर्थन दे रहे हैं। अब देखिए न- पोहरी में केशव सिंह तोमर से लेकर सुरेश राठखेड़ा, जमील अंसारी, राजेन्द्र पिपलौदा, एनपी शर्मा, विनोद धाकड़, अवतार सिंह गुर्जर, रामपाल सिंह रावत, माताचरण शर्मा, विजय यादव, अखिल शर्मा, राजकुमार शर्मा, ऊषा भार्गव, वीरेन्द्र शर्मा, रामकुमार शर्मा आदि आदि ने संयुक्त मोर्चा बना लिया है।

एक तरह से यह अल्टीमेटम दे दिया है कि किसी भी सूरत में हरिवल्लभ की उ मीदवारी स्वीकार्य नहीं होगी। हरिवल्लभ विरोधियों ने पर्यवेक्षक से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की और कहा कि हरिवल्लभ के अलावा कोई भी उ मीदवार उन्हें स्वीकार्य होगा। यदि इसके बाद भी हरिवल्लभ को टिकट दिया गया तो वे सब मिलकर उन्हें हराने में जुट जाएंगे। यहां तक कहा गया कि पोहरी में कांग्रेस की नहीं, बल्कि हरिवल्लभ की हार होगी। इसके बाद यह संक्रामक बीमारी करैरा पहुंची। जहां टिकट की दावेदार शकुंतला खटीक के खिलाफ अन्य सभी दावेदार केएल राय, योगेश करारे, मिश्रीलाल करारे, शिवचरण करारे, जसवंत जाटव, दिनेश परिहार आदि आदि अपने मतभेदों को भूलकर एक साथ आ खड़े हुए।

शकुंतला की उ मीदवारी रोकने के लिए दलील दी गई कि दलबदलूं स्वीकार नहीं होगा। करैरा में कांग्रेसी तो क्या जनता भी शकुंतला की उ मीदवारी स्वीकार नहीं करेगी और इसके बाद भी उन्हें टिकट दिया गया तो कांग्रेस की जमानत जप्त हो जाएगी। अब कोलारस के कांगे्रसी गुल खिला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि रामसिंह यादव के खिलाफ विधानसभा क्षेत्र के  लगभग सभी टिकट दावेदार और वरिष्ठ कांग्रेसी एक साथ आ गए हैं। उनकी दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात हो चुकी है।

इस प्रतिनिधि मण्डल के सदस्यों का दो टूक कहना था कि रामसिंह के अलावा किसी को भी टिकट दे दिया जाए तो उन्हें आपत्ति नहीं होगी। इससे इतना तो स्पष्ट है कि यदि इसके बाद भी हरिवल्लभ शकुंतला तथा रामसिंह को टिकट मिला तो कांग्रेसी उन्हें हराने में जुट जाएंगे। चुनाव के ठीक पूर्व यह स्थिति कांग्रेस की संभावनाओं को पूरी तरह से पलीता लगा रही है। ऐसी स्थिति में यदि समय रहते इलाके के प्रभावशाली कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहल नहीं की तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शर्मनाक हश्र को कोई नहीं रोक पाएगा।