उपजेल में कैदियों को कहानियों के माध्यम से बताए अपराधों से दूर रहने के उपाय


शिवपुरी-इस संसार में मनुष्य अपने जीवन को भगवान बनाने के लिए जन्म लेता है लेकिन वह जब संसार में आता है तो यहां के मायाजाल में फंसकर वह अपना उद्देश्य भूल जाता है इसके लिए वह सर्वाधिक पांच पापों से घिरा रहता है इन पापों से मुक्ति पा ले तो यह जीवन सार्थक बन जाएगा और आप स्वयं अपने जीवन को बदल दोगे, हमेशा हिंसा, झूठ, चोरी,
कुशिल(पराई स्त्री) व परिग्रह की भावना से दूर रहें क्योंकि यही वे पाप है जिनसे मनुष्य दूर नहीं हो पाता, जेल में तो भगवान श्रीकृष्ण ने भी जन्म लिया था लेकिन वे व्यसनों से दूर रहे और नर-नारायण कहलाए इसलिए कैदी भाई भी जब जेल आते है तो यहां उनके जीवन में बदलाव आना चाहिए ताकि वह नर से नारायण बने। कैदियों के लिए यह समझाईश व प्रवचन दे रहे थे आचार्य श्री श्री 108 श्री सौभाग्यसागर जी महाराज जो उपजेल में कैदियों को उनके अपराधों से दूर रहने के लिए अपने आशीर्वाचन दे रहे थे।

इस अवसर पर मुनिश्री सुरत्नसागर जी महाराज ने विभिन्न कहानियों के माध्यम से कैदियों को अपराधों से बोध कराया और बड़े ही आशीर्वचनों से कैदियों को उनके दु:ख दूर करने के कारण भी बताए। कार्यक्रम में प.पू.क्षुल्लक श्री 105 पवित्रसागर जी महाराज,प.पू.क्षुल्लक श्री 105 स्वरूपसागर जी महाराज भी मौजूद थे। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक आर.पी.सिंह, विधायक माखन लाल राठौर ने महाराजश्री की आरती कर आशीर्वचनों का सौभाग्य प्राप्त किया। कार्यक्रम का विधिवत संचालन आदित्य शिवपुरी ने किया। इस अवसर पर मुनि श्री सुरत्नसागर जी महाराज ने पांच पापों हिंसा जो कभी ना की जाए हमेशा अहिंसा को अपनाऐं क्योंकि किसी जीव को मारने का अधिकार मनुष्य को नहीं है, झूठ जो कभी ना बोला जाए क्योंकि एक झूठ से हम कई झूठ ऐसे बोल जाते है जिसके परिणाम गंभीर होते है इसलिए झूठ को त्यागर सत्य को अपनाऐं और सत्य बोंले, चोरी कभी पराएधन को अपना ना समझें चोरी करना पाप है चोरी से संबंधित मुनिश्री ने कहानी के माध्यम से इसकी व्याख्या की और उसके परिणाम बताए, कुशिल(परस्त्री) यानि पराई स्त्री पर कभी नजर ना रखे आज देखने में आ रहा है कि पत्नि तो अपना पति धर्म निभाती है लेकिन पति पत्नी धर्म से विमुख हो रहा है क्योंकि उसकी इच्छाऐं बढ़ रही है इसलिए वह पत्नी सुख को छोड़कर परस्त्री की ओर जाता है जबकि असली सुख तो पत्नी में ही छुपा होता है व परिग्रह से संबंधित प्रवचन भी मुनिश्री ने दिए। इस अवसर कैदियों ने संकल्प लिया कि वह जुआ, शराब, चोरी, धूम्रपान आदि के व्यसनों से दूर रहेंगे और अपने परिवार को लेकर सुखी जीवन जीऐंगे। कार्यक्रम में जेलर व्ही.एस.मौर्य का मुनिश्री द्वारा कैदियों के जीवन को नई दिशा देने पर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में ही मुनिश्री द्वारा पुलिस अधीक्षक आर.पी.सिंह,राजीव जैन, भागीरथ कुशवाह, लल्ला पहलवान, भारती चिड़ार, श्री परिहार, रामकिशन, दीपक सेन, महेश धाकड़, सुरेश राठौर सहित उपजेल के स्टाफ का सहयोग प्रदान करने पर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का बड़े ही शानदार ढंग से आदित्य शिवपुरी ने संचालन किया।