ओशो ध्यान करने से होती आत्म सुखानुभूति : मॉं ध्यान तन्मया

शिवपुरी। ओशो ध्यान साधना करने से हमें मन के आत्मिक सुख की अनुभूति है मैं स्वयं अपने अनुभवों को जब ध्यान साधना के माध्यम से बांटती हॅंू तो पता चलता है कि मैं वर्तमान में जी रही है यही ओशो ने सभी को सिखाया कि वर्तमान में जियो भविष्य की फिक्र किसे है कठिन परिश्रम और ध्यान साधना के आज मैं अपने आप में संतुष्ट है यह ओशो ध्यान साधना ही है कि घनघोर जंगलों के बीच मैंने अपने घर-परिवार को छोड़कर साधना की और आज जो आत्मानुभूति मुझे मिली है उसके आगे सब मिथ्या है।

ओशो ध्याना साधना का यह बखान कर रही थी प्रख्यात ध्यान साधिका ओशो आश्रम उत्तराखण्ड की मॉं ध्यान तन्मया जिन्होंने स्थानीय महल कॉलोनी में ओशो मित्र मण्डल के स्वामी राजेन्द्र जैन के निवास पर आयोजित पत्रकारवार्ता को संबोधित किया तत्पश्चा संध्या के समय ओशो ध्यान शिविर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजेन्द्र मजेजी, भूपेन्द्र विकल, स्वर संगम के गोपाल जी आदि सहित अन्य ओशो प्रेमी भी मौजूद रहे। आज ओशो मित्र मण्डल व ओशो प्रेमियों द्वारा नगर भ्रमण व नगर कीर्तन निकाला जाएगा। जिसमें ओशो गीतों पर नाचते-गाते ओशोप्रेमी ओशो के ध्यान में डूबकर ओशो का सानिध्य पाऐंगे। यह नगर कीर्तन प्रतिवर्ष निकाला जाता है जिसमें सैकड़ों की ंसख्या में ओशोप्रेमी नाच-गाकर ध्यान क्रियाऐं कर नगर कीर्तन में भाग लेते है।

कार्यक्रम के बारे में प्रेसवार्ता के माध्यम से जानकारी देते हुए ओशोप्रेमी राजेन्द्र जैन, गोपालजी, भूपेन्द्र विकल आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि आगामी 15 सितम्बर को प्रात: 6 बजे सक्रिय ध्यान, प्रात: 10 बजे से अग्रवाल धर्मशाला से ओशो प्रेमी नाचते हुए ध्यान में लीन होकर नगर कीर्तन करते हुए माधवचौक चौराहा होते हुए गांधी चौक, सदर बाजार, टेकरी होते हुए धर्मशाला रोड होते हुए अग्रवाल धर्मशाला पहुंचेगा। यहीं पर नगर कीर्तन का समापन होगा। इसी दिन दोपहर 4 बजे से सायं 6 बजे तक महिलाओं के लिए विशेष शिविर भी आयोजित होगा जिसमें सभी महिलाऐं आमंत्रित है।

सायंकाल 7 बजे संध्या सत्संग होगा रात्रि में 9 बजे ईवनिंग पार्टी का आयोजन भी रखा गया है। इसी तरह 16 सितम्बर को प्रात: 6 बजे सक्रिय ध्यान, प्रात: 7 बजे से सायंकाल 6 बजे तक विभिन्न ध्यान प्रयोग होंगे। सायंकाल 7 बजे संध्या सत्संग के साथ सन्यास उत्सव भी रखा गया है। ओशो मित्र मण्डल के स्वामी प्रेमकृष्ण (राजेन्द्र जैन) व स्वामी निखिल आनन्द(गोपालजी स्वर संगम) ने बताया कि उपरोक्त शिविर में देश व प्रदेश के अनेकों ओशो प्रेमी एकत्रित हो रहे है। शिविर में शामिल होने के लिए पूर्व में पंजीयन कराना अति आवश्यक है। शिविरार्थी स्वर संगम न्यू ब्लॉक चौराहा पर पंजीयन करा सकते है। शिविर के दौरान ओशो पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। इस प्रदर्शनी में ओशो साहित्य, ऑडियो, वीडियो, सी.डी.प्लेयर, पत्रिकाऐं, स्टीकर भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगीं। ओशो ध्यान साधना शिविर की तैयारियों में लगातार शिवपुरी के तीस ओशो प्रेमी जुटे हुए है और प्रयासरत है कि अत्याधिक ओशो प्रेमी इस शिविर में शामिल होकर जीवन जीने की कला सीख कर स्वास्थ्य, तनाव रहित जीवन जी कर आनन्ददायक रहना सीखें। समस्त ओशोप्रेमी इस शिविर में लाभ लें।

कभी ओशो की विरोधी थी मां ध्यान तन्मया


ओशो आश्रम ऋषिकेश की सन्यासिन मां ध्यान तन्मया कभी ओशो की विरोधी थी और ओशो विरोध के कारण ही उनके पति से उनके तनावपूर्ण संबंध थे। मां ध्यान तन्मया के पति कट्टर ओशो अनुयायी थे। उस समय तक मां सन्यास का अर्थ यह समझती थी कि इससे संसार से नाता तोड़ लेना होता है।

एक दिन जब उनके पति ओशो के पास जाने लगे तो मां ध्यान तन्मया ने उन्हें ओशो के नाम लिखा एक कड़ा पत्र दिया। जिसमें उनकी मुखर आलोचना थी। यह पत्र देखकर ओशो के शांत चेहरे पर मुस्कान आ गई और उन्होंने पत्र के नीचे ब्लेशिंग लिखकर उसे वापिस कर दिया। यह मां ध्यान तन्मया के लिए निमंत्रण था और जब वह ओशो के पास मिलने गईं और उनके सानिध्य में ध्यान किया तो उनकी पूरी दुनिया ही बदल गई। पहले जहां वह ओशो विरोध के  चरम पर थी। अब ओशो के प्रेम में दूसरे चरम पर हैं।