रामराज, शिवराज या चापलूसी की हद

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भोपाल। अब जो आप पढऩे जा रहे हैं उसे पढऩे के बाद आप समझ नहीं पाएंगे कि यह क्या है, राम राज्य का प्रतिरूप, शिवराज का सुशासन का चापलूसी की हद। मजेदार बात तो यह है कि आप यह भी नहीं समझ पाएंगे कि यह चापलूसी आखिर कर कौन रहा है, मुख्यमंत्री का स्वागत करने वाला ग्राम प्रधान या जनसंपर्क विभाग के सरकारी पत्रकार योगेश शर्मा। हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री की विकास यात्रा की। अब जब मुख्यमंत्री विकास यात्रा पर है तो सरकारी पत्रकार उनका गुणगान तो करेंगे ही, लेकिन आज जो खबर जनसंपर्क विभाग से आई वह दातों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर रही है। आप खुद पढि़ए सरकारी पत्रकार योगेश शर्मा की यह रिपोर्ट और फैसला कीजिए कि यह क्या है, शिवराज का राम राज्य या चापलूसी की हद। अपना फैसला कृपया कमेंट बॉक्स में शेयर करें। लीजिए पढि़ए यह सरकारी समाचार:-


एक पंचायत ऐसी भी जिसकी कोई माँग नहीं (मिसाल—बेमिसाल)

कोई व्यक्ति, उसका पूरा गाँव या समूची पंचायत अगर सार्वजनिक तौर पर कहे कि हमारी कोई माँग नहीं है और हम सब खुश हैं तो यकीनन आज के दौर में यह अजूबे की बात है। पर यह सच्चाई सीहोर जिले की नसरुल्लागंज तहसील के वासुदेव ग्राम में सामने आई। बुधवार को विकास यात्रा के एक पड़ाव पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के सामने अपने दिल की यह बात कहते हुए ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान ही नहीं, गर्व भी साफ झलका।

विकास की वास्तविकता और लोगों की दिक्कतें जानने के लिये ही पूरे प्रदेश में विकास यात्रा शुरू की गई है। इसलिए मुख्यमंत्री श्री चौहान भी सीहोर जिले की नसरुल्लागंज तहसील में अपनी पदयात्रा के दौरान लोगों के हाल जानने निकले थे। ग्राम मगरिया से सेमलपानी के आठ किलोमीटर के फासले में प्रमुख गाँवों के अलावा एक दर्जन अन्य स्थानों पर भी मंच बना कर लोगों ने उनका स्वागत किया। चूँकि मुख्यमंत्री समस्याओं को लेकर सीधी बात कर रहे थे, इसलिये लोगों में अपनी बात रखने में झिझक भी नहीं थी। सिर्फ एक जगह को छोड़कर लोगों ने माँग-पत्र भी सौंपे।

आश्चर्यजनक वाक्या मुख्यमंत्री की पदयात्रा के छठवें पड़ाव वासुदेव गाँव में सामने आया। काफिले के वहाँ पहुँचते ही लोगों ने मुख्यमंत्री का पूरे उत्साह से खुशगवार स्वागत किया। यहाँ भी ढोलों की थाप पर नृत्य करते हुए लोग खुशियाँ मना रहे थे। किसी के चेहरे पर कोई थकान नहीं दिखती थी। मंच पर मुख्यमंत्री के पहुँचते ही ग्राम-प्रधान ने माइक सम्हाला और मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए सीधे-सीधे सिर्फ एक वाक्य कहा ‘‘भैया हमारे गाँव और पंचायत में सब सुखी हैं और हमारी आपसे कोई माँग नहीं है। आपने तो खुद ही पहले कई काम यहाँ करवाये हुए हैं।’’

अब बारी मुख्यमंत्री के बोलने की थी। संतोष उनके चेहरे पर भी इसलिये झलका था कि एक पंचायत के सारे लोगों ने आज खुलकर अपने सुखी होने की बात कही भी। इसके बाद भी मुख्यमंत्री ने गाँव के समीप की नदी के घाट की स्थिति पूछ ली। प्रधान का जवाब था कि उस काम की अभी बहुत जल्दी नहीं है, धीरे-धीरे करवा लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा ऐसा नहीं चलेगा। इस घाट का उन्नयन भी जल्द होकर रहेगा। इसके बाद तो उपस्थित लोगों ने झूमकर नृत्य किया।

आज जब अभावों और खामियों का बनावटी इजहार आम बात है, वहाँ एक पूरी पंचायत का अपने लोगों के पूरी तरह सुखी होने का सार्वजनिक ऐलान न सिर्फ हैरतअंगेज बल्कि एक मिसाल है। इस मिसाल में आत्म-संतुष्टि है और विकास के लिये खुद की भागीदारी का अदम्य साहस भी।
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