शिवपुरी के भ्रष्टाचार के ब्रांड एम्बेसडर मीणा पर दर्ज हो सकती है एफआईआर...!

एल.आर.मीणा
जिला संयोजक
आदिम जाति कल्याण विभाग शिवपुरी
ललित मुदगल
शिवपुरी- अपने मनमर्जी, हठधर्मिता और नियम कानूनों पर ताक पर रखकर कार्य करने वाले अधिकारी के रूप में शुमार है शिवपुरी के आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक एल.आर.मीणा। जिन्होंने अपने कारनामों से शिवपुरी में भ्रष्टाचार के रूप में एम्बेसडर की संज्ञा को पाया है। इस तरह की मनमानी और नियमों को दरकिनार कार्य करने वाले इस संयोजक एलआर मीणा ने जब से कार्यभार संभाला है तभी अपने खुले तेवरों से सभी को अवगत करा दिया। हमेशा से जो काम नियमों में आड़े आते उन्हें ही कार्य कराने का एक तरह ठेका सा लेते है यह अधिकारी।


इनके कारनामों की यदि फेहरिस्त निकाली जाए तो संभवत: यह स्थान भी पूर्ण नहीं हो पाएगा और इनके द्वारा कारित कारनामे खुलते जाऐंगे। आदिम जाति कल्याण विभाग के कमिश्रर के निर्देशों को हवा में उड़ाकर इस अधिकारी ने कलेक्टर, अपर कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ तक को अपनी हठधर्मिता का असर दिखाकर आईना दिखाते हुए रवाना कर दिया है। दूसरी ओर कलेक्टर को आदिम जाति कल्याण विभाग के कमिश्रर को शिवपुरी में संयोजक का कार्यभार संभाले एल.आर.मीणा का विस्तृत ब्यौरा भी इन्हीं अधिकारियों के कंधों पर है लेकिन वह इस पूरा करने में असमर्थता जाहिर कर तो रहे है पर बता नहीं पा रहे। नियमित रूप से घंटों के हिसाब से कार्य करने वाले इन संयोजक महोदय की शिकायतों के दिन अब लद से गए जान पड़ते है। क्योंकि एक ओर अब भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति ने इनके विरूद्ध मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है तो वहीं दूसरी ओर नियमों केा हवा में उड़ाकर इनके विरूद्ध की गई शिकायतें भी प्रमाणित दस्तावेजों के साथ तैयार है। यदि शीघ्र इन मामले को लेकर जिला संयोजक एल.आर.मीणा के विरूद्ध एफआईआर दर्ज न हो जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता है।

यहां बता दें कि शिवपुरी में प्रदेश सरकार की योजनाऐं हो या विभाग की महत्वपूर्ण जानकारी जिसका संदर्भ योजनाओं के परिचालन में हो तो इन सभी को दरकिनार करने का जिम्मा एक तरह से आदिम जाति कल्याण विभाग के ही जिला संयोजक एल.आर.मीणा ने ले रखा है। जब से शिवपुरी में अपने कार्यभार संभाले इस अधिकारी ने मनमर्जी पूर्ण कार्य किए है उनकी शिकायतें प्रदेश तक भेजी गई है। ऐसा नहीं है कि इन पर कोई असर नहीं होता। अभी कुछ दिनों पूर्व ही आदिम जाति कल्याण विभाग के कमिश्रर आशीष उपाध्याय शिवपुरी प्रवास पर आए थे। जहां जिला संयोजक एल.आर.मीणा के विरूद्ध काफी शिकायतें उन्हें लिखित रूप से प्राप्त हुआ। जिसका परिणाम यह हुआ कि  कमिश्रर श्री उपाध्याय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के लिए जिला कलेक्टर जॉन किंग्सली, अपर कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को जिला संयोजक श्री मीाणा का बायोडाटा एकत्रित कर जानकारी भेजने के निर्देश दिए। लेकिन आज दिनांक तक जिला प्रशासन के यह कर्मण्य अधिकारी संयोजक मीणा की एक भी जानकारी संकलित नहीं कर पाए। जिसका परिणाम यह है कि आज भी इनके द्वारा किए जा रहे बेरोकटोक मनमर्जी से पूरे हो रहे है। यदि कोई दखलदांजी करता है तो वह इनसे बर्दाश्त नहीं होता और उसके विरूद्ध ही कार्यवाही का आश्वासन दे डालते है। लेकिन इब इनके दिन लद गए से जान पड़ते है। जहां इनके विरूद्ध कई लोगों ने पी.जी.सेल में शिकायत की तो अब भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति भी इस अधिकारी के विरूद्ध मोर्चा खोलने को तैयार है। देखते है आने वाले समय में साक्षी दस्तावेजों इन पर गाज गिरना तय है।

कहां की गड़बड़ी 
शिवपुरी में किस प्रकार से नियमों को दरकिनार कर आदिम जाति कल्याण विभाग संयोजक एल.आर.मीणा ने अपने कारनामों को अंजाम दिया है। उसकी फेहरिस्त काफी लंबी है फिर भी यहां कुछ तथ्यों को द.भास्कर.कॉम उजागर कर रहा है। जिसमें सर्वप्रथम जिला संयोजक ने छात्रावासों पर जिन अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां की है वे सभी नियमों को दरकिनार कर की गई है। इन नियमों का यदि उल्लेख किया जाए तो यहां नियम है कि आवेदक स्थानीय होना चाहिए और विभागीय कर्मचारी के रिश्तेदार या नजदीकि रिश्तेदार इस नियुक्ति के लिए अमान्य किए जाऐंगे। लेकिन यहंा जो अतिथि शिक्षक नियुक्त किए गए है वे सभी या तो रिश्तेदार है अथवा कहीं बाहर के निवासी। यहां गौरतलब है कि सुभाषपुरा अनुसूचित जाति बालक आश्रम में प्रधानाध्यापक की बहू को नियुक्त किया गया है तो वहीं दूसरी ओर सुभाषपुरा में ही अनुसूचित जाति कन्या आश्रम में स्थापना बाबू शिवपुरी आर.के.गहलौत की पुत्री की नियुक्ति भी शामिल है। धुवानी के बालक आश्रम में भी जिला कार्यालय में कार्यरत रमेश जाटव बाबू का साला पदस्थ है तो पीपीखेड़ी स्थित आश्रम में प्रभारी सी.ओ.(सर्किल ऑरर्गेनाईजर) के निकट संबंधी पदस्थ है। ऐसे ही भोपाल जिले के रहने वाले कई रिश्तेदार व संबंधी शिवपुरी जिले के इन छात्रावासों में कार्यरत है। यह सभी वे मामले है जिनमें सार्थकता सिद्ध होती है कि किस प्रकार से अधिकारी ने नियमों को दरकिनार कर यह नियुक्तियां की। इससे इन पर कार्यवाही की संभावना बलीबत होती है। यहां बताना होगा कि इस अधिकारी ने स्वयं के निजी लाभों को देखते हुए विधानसभा में भी गलत जानकारी देकर इन नियुक्तियों के आदेश दे दिए जबकि विधानसभा में इस तरह की नियुक्तियां निल बताई गई है। अब जब विधानसभा को ही गलत जानकारी देने जैसा कृत्य इस अधिकारी ने किया है तो फिर कैसे कहा जा सकता है कि इसे शासकीय कार्य के दौरान इतने महत्वपूर्ण पद पर बिठाया जा सके। इन सभी प्रकरणों की जांच के दौरान यह सिद्ध हो जाएगा कि जिला संयोजक एल.आर.मीणा ने बेहद ही गलत ढंग से नीतियों को अपनाकर अपना उल्लू सीधा किया है। इन गड़बड़ीयों के सिद्ध होने के साथ ही इन पर गाज गिरेगी और संभवत: एफआईआर दर्ज हो तो भी कोई बड़ी बात नहीं।

नौकरी नवम्बर 2011 में तो वेतन मिला जुलाई 2011 से  
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि कोई भी व्यक्ति शासकीय सेवा में जिस दिन से कार्यरत होता है तो उसका वेतनमान भी उसी दिन से लागू होता है। लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग में जिला संयोजक की मनमर्जी इस कदर हावी है कि इन्होंने माह नवम्बर 2011 में नियुक्त अतिथि शिक्षकों की पदस्थी के बाद भी इनका वेतन जुलाई 2011 से जारी कर दिया गया। यहां यह सवाल अपने आप में निकलकर आ रहा है कि जब कोई नौकरी जिस महीने से करें और उसका वेतन पांच माह पूर्व से ही उसे भुगतान होने लगे। तो इस कार्यवाही पर प्रश्रचिह्न तो खड़ा होता ही है? इस तरह देखा जाए तो इस विभाग के संयोजक श्री मीणा के हस्ताक्षर से निकाले गए वेतन पर भी कार्यवाही  से गाज गिरना तय है।

आदेश क्यू में निकाले, बनाया विश्व रिकॉर्ड 
नियम निर्देशों की बात की जाए तो यहां क्यू नाम से भी एक आदेश जारी होता है जिसके मुताबिक जब विभाग कभी कैम्प लगाता है और कोई जनहितैषी आवश्यक कार्यवाही होती है तो आदेश क्यू में निकाला जाता है। परन्तु यहां तो जिला संयोजक ने की गई कार्यवाही को भी दरकिनार कर दिया। जहां सभी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश को क्यू के तहत निकाल दिया गया। इस तरह का यह मामला अपितु मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा। यह अपने आप में पहला ऐसा मामला होगा जिसमें क्यू के तहत नियुक्ति जारी की गई हों।

भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति जिला संयोजक के विरूद्ध खोलेगा मोर्चा 
जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग के एल.आर.मीणा द्वारा किए गए अनैतिक कार्यों के प्रति राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति संगठन शिवपुरी अपना विरोध दर्ज कराते हुए इनके विरूद्ध मोर्चा खोलेगी ताकि एक वरिष्ठ ओहदे पर बैठे अधिकारी द्वारा किस तरह से नियमों का माखौल उड़ाया जा रहा है यह सब आमजन को भी पता चल सके और ऐसा करने वालों के विरूद्ध आमजन भी खुलकर विरोध दर्ज करा सके। इस मामले में राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के जिलाध्यक्ष अशोक सम्राट का कहना है कि यदि शासन व प्रशासन द्वारा शीघ्र ही आदिम जाति कल्याण विभाग संयोजक एल.आर.मीणा द्वारा विधानसभा को गलत जानकारी देना, अनैतिक रूप से चहेतों को लाभ देकर अतिथि शिक्षकों की भर्ती में नियमों की अनदेखी बर्दाश्त योग्य नहीं है इसलिए इस अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की आवश्यकता है अन्यथा भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति संगठन शिवपुरी अपना विरोध दर्ज कराते हुए सड़कों पर खुलकर विरोध करेगी।