हठ योगी बाबा ने ली जल समाधि, 21 दिन बाद निकलेंगे बाहर

शिवपुरी- कहते है यदि ईश्वर का ध्यान मन में आ जाए तो फिर कोई किसी की नहीं सुनता। इसी प्रकार का नजारा देखने को मिला एबी. रोड पर मुडख़ेड़ा से पूर्व में 13 किमी पर स्थित ग्राम पंचायत करईकैरई के ग्राम झोंपड़ी में सिद्ध बाबा के स्थान भरूकेश्वर पर जहां हठ योगी बाबा संत श्री हरिहरपूरी महाराज उम्र 65 वर्ष निवासी महाराष्ट्र जिन्होंने महाराष्ट्र से आकर मप्र में प्रवेश किया और तप करने के लिए इस ग्राम को चुना।

ग्रामवासियों को अपने तप के बारे में बताकर सभी ग्रामवासियों को बाबा ने हतप्रभ कर दिया कि वह जल में रहकर 21 दिन की जल समाधि लेंगे। इस पर ग्रामीणों ने बाबा के हठ को मानने से इंकार किया और आग्रह किया कि वह इस तरह का कोई तप ना करे। लेकिन अपने तप को पूरा करने के लिए बाबा हरहिरपूरी महाराज तीन माह पहले से ग्राम के सिद्ध बाबा स्थान पर पहुंचे और 15 जनवरी से अन्न त्याग कर दिया। वहीं अभी 7 दिन पूर्व से महाराज ने पानी भी त्याग दिया। सिद्ध बाबा स्थान पर 6 फुट का कुण्ड बना हुआ जिसमें 6 फरवरी को प्रात: 09:45 बजे इस कुण्ड में स्थित एक पटिया पर लेटकर बाबा ने जल समाधि ली। यहां पानी का स्तर बाबा के गले तक है और वह आगामी 26 फरवरी को प्रात: 10:00 बजे अपने तप को पूरा करके समाधि से बाहर आऐंगे। वहीं 26 एवं 27 को धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा साथ ही ग्रामवासियो के सहयोग भण्डारा भी आयोजित किया जाएगा। 

ग्राम के निवासी पूर्व मण्डी उपाध्यक्ष व वर्तमान में भाजपा पशु पालक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मूल सिंह गुर्जर ने यह संपूर्ण जानकारी दी। श्री गुर्जर ने बताया कि सिद्ध बाबा स्थान भरूकेश्वर बहुत प्राचीन है इस स्थान पर धार्मिक आयोजन होते रहते है। जिसमें ग्राम के आसपास के ग्रामीणजन भी इस मंदिर पर आते है  जिनकी मनोकामनाऐं पूरी होती है। उपरोक्त हठयोगी महाराज यहां आए और इन्होंने तप के रूप में जल समाधि ली है। जिसके सफल आयोजन के लिए संपूर्ण ग्रामवासी प्रतिदिन रामधुन में लगे हुए है। 

बाबा की देखरेख में एक बालक पप्पू भील, जसराज सिंह गुर्जर, कमल सिंह यादव, महेन्द्र सिंह गुर्जर, तहसीलदार गुर्जर एवं साहब सिंह आदि लगे हुए है। इस दौरान बाबा ने जल समाधि के दौरान बताया कि भक्ति, तप और जप आठ वर्ष की उम्र से करता रहा हॅू। पंजाब यूनीवर्सिटी से बी.ई.इलेक्ट्रॉनिक कर चुके बाबा ने हिमालय में गंगोत्री से 7 किमी ऊपर बर्फ में तीन माह तक तप किया है और महाराष्ट्र में पूना के पास डौड़ी तहसील में 41 दिन तक अपने शरीर पर शिला रखकर समाधि ली है। बाबा के जल समाधि स्थल पर दूर-दूर से ग्रामीण तथा शहरी नगर के धर्मप्रेमीजनों का आना जाना लगा हुआ है जो प्रतिदिन महाराज से आशीर्वाद प्राप्त कर रहे है।