फर्जी अंकसूची लगाकर बन गई संविदा शिक्षक, FIR दर्ज

शिवपुरी। इसे जिला पंचायत और शिक्षा विभाग की मिलीभगत का परिणाम नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे? जो आरोपी महिला लक्ष्मी माथुर पुत्री कांतीप्रसाद माथुर निवासी न्यू कॉलोनी बैराड़ फर्जी मार्कसीट के सहारे संविदा शिक्षक वर्ग 2 के पद पर नियुक्ति धारण करने के बाद पांच साल तक नौकरी करती रही और शिकायत के बाद भी संबंधित विभागों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

आखिरकार माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर उक्त आरोपी महिला को नौकरी से पृथक तो कर दिया गया, लेकिन उसके खिलाफ पुलिस में कोई एफआईआर कायम नहीं की गई। यही नहीं उक्त महिला का फिर से नई अंकसूची लगाकर संविदा शिक्षक वर्ग 2 में चयन हो गया। वर्तमान में उक्त आरोपी महिला बदरवास विकासखंड अंतर्गत सुनाज हाई स्कूल में पदस्थ है। मामले का खुलासा तब हुआ जब उच्च न्यायालय के निर्देश पर पुलिस ने आरोपी महिला के विरूद्ध भादवि की धारा 420 और 474 के तहत प्रकरण कायम किया।

आरोपी महिला लक्ष्मी माथुर ने वर्ष 2002 में जनपद पंचायत पोहरी अंतर्गत संविदा शिक्षक वर्ग 2 के लिए आवेदन किया। उस आवेदन में महिला ने भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर बिहार की बीए की अंकसूची लगाई और इस आधार पर वर्ष 2003 में नौकरी भी प्राप्त कर ली। इसके बाद अन्य आवेदकों गजाधर धाकड़ निवासी गांधी कॉलोनी और रामकृष्ण श्रीवास्तव निवासी दीनदयाल नगर ग्वालियर ने जिला पंचायत और शिक्षा विभाग को शिकायत की कि चयनित महिला लक्ष्मी माथुर की बीए की अंकसूची फर्जी है और उसने गलत तरीके से नियुक्ति हासिल की है, लेकिन संबंधित विभागों ने इस शिकायत पर कार्रवाई करने की बात तो दूर जांच भी नहीं की।

परेशान होकर आवेदकों ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई और न्यायालय ने जांच के लिए पोहरी पुलिस को निर्देश दिया। इसकी जांच पोहरी के तत्कालीन एसडीओपी अजय सिंह चौहान ने की। जिन्होंने जांच में पाया कि लक्ष्मी माथुर की बीए की अंकसूची फर्जी है और उसने गलत तरीके से यह नौकरी हासिल की है। इस जांच रिपोर्ट के बाद बताया जाता है कि माननीय उच्च न्यायालय ने आरोपी महिला के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया। लेकिन जिला पंचायत और शिक्षा विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने लक्ष्मी माथुर को नौकरी से पृथक कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ ली तथा पुलिस में फरियादी बनकर आरोपी महिला की शिकायत नहीं की। तत्पश्चात लक्ष्मी माथुर ने वर्ष 2010 में उसी विभाग में संविदा शिक्षक वर्ग 2 के लिए आवेदन देकर नियुक्ति हासिल कर ली। 

पहले उसकी नियुक्ति उपसंचालक शिक्षा विभाग के कार्यालय में हुई इसके बाद उसका स्थानांतरण संकुल तथा फिर सुनाज हाई स्कूल में हुआ। जब माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद जिला पंचायत और शिक्षा विभाग ने आरोपी महिला के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की तो पुलिस ने स्वयं फरियादी बनकर उसके विरूद्ध भादवि की धारा 420 और 474 का मामला पंजीबद्ध कराया तब उजागर हुआ कि उक्त महिला सुनाज हाई स्कूल में नौकरी कर रही है।