छात्रावास अधीक्षकों से की जा रही है बसूली

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शिवपुरी। आदिमजाति कल्याण विभाग में नियमविरूद्ध तरीके से किए जा रहे कार्य चर्चा में हैं। विभाग में बगैर प्रभारी मंत्री की अनुमति लिए कर्मचारियों के स्थानांतरण और अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चों के लिए मौजे, ड्रेस, स्कूली बस्तों की खरीदी को लेकर विभागीय अधिकारी पहले से ही विवादों के घेरे में थे और अब जिले में संचालित विभिन्न छात्रावास और आश्रमों पर तैनात अधीक्षकों से बसूली की जा रही है। इन छात्रावासों पर चल रही अनियमितताओं को दबाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के इसारे पर छात्रावासों के अधीक्षकों से प्रतिमाह 10-15 हजार रूपए तक की बसूली की जा रही है। ऐसे ही एक मामला मीडिया के हाथ लगा हैं। जिसमें पिछोर के करारखेड़ा में संचालित शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम के अधीक्षक कमरलाल जाटव ने आरोप लगाया है कि उससे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बसूली की जा रही है। यह बात लिखित रूप में अधीक्षक कमरलाल ने स्वीकार की है।

करारखेड़ा के आश्रम के अधीक्षक ने बताया कि जिला मुख्यालय पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारी प्रत्येक विजिट के उनसे 5 हजार रूपए, छात्रों को प्रदान किए जाने वाली भोजन व्यवस्था, शिक्षावृत्ति में से 30 प्रतिशत की मांग कर रहे हैं। अधीक्षक का कहना है कि वह आश्रम पर व्यवस्थाएं दुरूस्त रखते है मगर फिर भी वरिष्ठ अधिकारी जिला मुख्यालय से आकर तमाम खामियां निकालकर दवाब बनाते हैं, आश्रम के कर्मचारियों का कहना है कि जिला कार्यालय से इस तरह की बसूली के लिए मोबाईल से फोन कर दवाब बनाया जाता है। पूरे जिले में छात्रावास एवं आश्रम अधीक्षकों से यह बसूली चल रही है। जिला मुख्यालय पर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर यह खेल खेला जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिन आश्रम और छात्रावासों के अधीक्षक और इस दवाब में आकर बसूली की राशि दे देते हैं तो उन पर मेहरबानी दिखाई जाती है जबकि जो अधीक्षक अवैध राशि का विरोध करता है तो उन पर दवाब बनाकर कमियां निकालकर उन्हें नोटिस देकर डराया धमकाया जाता है। शिवपुरी जिले में दर्जनों आश्रम व छात्रावास हैं। 

जिनमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्र रहते हैं। जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारी इन अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों के भविष्य से खिलावाड़ कर रहे हैं। शासन की जो मंशा है की इन जातियों के छात्र एवं छात्राओं को योजनाओं का लाभ मिले। वह मंशा जिले में पूरी नहीं हो पा रही है। आदिम जाति कल्याण विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार पर जिलाधीश सहित वरिष्ठ अधिकारी भी चुप्पी साधकर बैठे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग में बीते कुछ समय से तमाम भ्रष्टाचार की तथ्य परख शिकायतें सामने आ चुकी हैं मगर जिला संयोजक एलआर मीणा के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। बीते दिनों प्रभारी मंत्री के बगैर अनुमोदन के कर्मचारियों का स्थानांतरण का विवाद भी तूल पकड़ा मगर कार्रवाही कुछ नहीं हुई। इसके अलावा पूरे जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के संचालित आश्रमों में भर्ती के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। इसकी वरिष्ठ अधिकारी से निष्पक्ष जांच होती है तो इस भर्ती को अंजाम देने वाले भ्रष्ट अफसर सीखचों में होंगे। 
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