शिवपुरी। ग्राम सूड में चल रही श्रीमद भागवत कथा 108 भागवत परायण के छठे दिन श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ। रुक्मणी विवाह में भगवान श्री कृष्ण की बारात निकाली गई जिसमे बैंड की धुन पर बाराती नाचते गाते कथा पंडाल पहुंचे जहां पर भगवान श्री कृष्ण भगवान की वरमाला में फूल उड़ा कर की गई।
जिसके बाद "आओ सखी मुझे मेहंदी लगा दो" राधिका गोरी से बिरज की छोरी से मैया करा दे मेरो ब्याह" के साथ अन्य भजनों पर बड़े ही धूमधाम से नृत्य कर मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक पं. सतेंद्र उपाध्याय ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।
कथा श्रवण के दौरान स्थानीय महिलाओं पर पांडवों के भाव अवतरित हुए कथा वाचक कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत विवरण दिया।
श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई रुकमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगे। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपना एगी अंत भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।
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