शिवपुरी। भले ही महिलाओं ने अपनी शक्ति और सामर्थ्य के बल पर हर क्षेत्र में अपनी काबलियत का परचम लहरा दिया हो,किंतु यह बेहद कड़वा सच है कि समाज आज भी उन्हें दूषित नजरों से देखता है।स्कूल-कॉलेज, बाजार, मंदिर हो या दफ्तर उसे छेडख़ानी की बेहूदगी हर जगह झेलना पड़ती है। महिलाओं की अस्मिता एवं स्वाभिमान की रक्षा के लिये हर स्तर पर प्रयासों की नितांत आवश्यकता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिये कलेक्टर अनुग्रहा पी ने सभी कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया है कि अपने अधीन संचालित 10 या 10 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक कार्यालय में 15 दिन के भीतर एक आंतरिक परिवाद समिति का गठन करें। समिति गठित न होने की दशा में कार्यालय प्रमुख पर 50 हजार रुपये का जुर्माना होगा। यह आदेश केवल सरकारी कार्यालयों पर ही नहीं बल्कि अशासकीय, अर्द्धशासकीय, निगम,मंडल, बैंक इत्यादि सभी कार्यालयों पर लागू होगा।
सभी कार्यालयों में यह समिति गठित करनी होगी तथा गठित समिति का बोर्ड कार्यालय के दृश्य भाग में प्रदर्शित करना होगा।समिति में कम से कम 4 सदस्य होंगे जिसमें समिति अध्यक्ष कार्यालय की वरिष्ठ महिला (अधिकारी या कर्मचारी) होगी। समिति के अन्य सदस्यों में दो ऐसे सदस्य होंगे जिनके पास कानूनी ज्ञान,समाज सुधार का अनुभव तथा महिलाओं के मुद्दों को सुलझाने की क्षमता हो। एक सदस्य महिलाओं के लिये कार्यरत गैर सरकारी संगठन या महिलाओं से जुड़े विभाग से होगा। समिति में कुल संख्या में आधी संख्या महिलाओं की होना आवश्यक है।
-
समिति के कार्य दायित्व
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडऩ रोकथाम (निवारण,प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 में प्रत्येक कार्यस्थल पर परिवाद समिति गठन का प्रावधान किया गया है।यह समिति कार्यस्थल पर महिलाओं के स्वाभिमान एवं गरिमा को बनाये रखने के लिये सभी आवश्यक प्रयास करेगी।समिति यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी महिला कर्मचारी को शारिरिक या मानसिक रूप से प्रताडि़त न किया जावे।महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार, कार्य स्थल पर अभद्र भाषा का स्तेमाल,अश्लील इसारे,यौन संबंधित मांग,अश्लील चित्रण इत्यादि न हो।यदि समिति के संज्ञान में ऐसा कोई व्यवहार आता है या कोई शिकायत प्राप्त होती है तो समिति आवश्यक कार्यवाही करेगी।
कार्यालय प्रमुख खबर को ही आदेश समझें
कलेक्टर ने जिले के सभी शासकीय अशासकीय कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया है कि यह आदेश लोकहित से जुड़ा होकर बहुसंख्यक संस्थानों से जुड़ा है।सभी जगह आदेश की प्रति पहुंचपाना संभव नहीं है। अखबार में खबर प्रकाशन को ही आदेश की प्राप्ति मानकर समिति गठन की कार्यवाही 15 दिन में पूर्ण कर समिति गठन की जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास को भेजें।
इनका कहना है
सामाजिक विकास में महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा तथा सम्मान का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है।हम जिस समाज मे पले बढ़े है,उस समाज में महिलाओं को देवी के रूप में पूजने की परंपरा है।उसके बाबजूद दिन प्रतिदिन बढ़ती महिला हिंसा एवं गिरता नैतिक स्तर चिंता के साथ ही सामाजिक चिंतन का विषय बन गया है।शासन प्रशासन के द्वारा महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के अनेकों प्रयास किये जा रहे है,किंतु सामाजिक सहयोग के अभाव में सुरक्षात्मक उपाय विफल हो रहे है। वर्तमान में महिला एवं बालिका हिंसा के खिलाफ लड़ाई में सामाजिक भागीदारी की नितांत आवश्यकता है। शासन एवं समाज की संयुक्त भागीदारी से ही इस बुराई को दूर किया जा सकता है
राघवेंद्र शर्मा बाल संरक्षण अधिकारी
महिलाओं के स्वभिमान की रक्षा शासन प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है।महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा समाज के प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। हर कार्यालय में महिलाओं की गरिमा के अनुकूल वातावरण निर्माण के लिये आंतरिक परिवाद समिति वेहद महत्वपूर्ण है।इसे प्राथमिकता से गठित किया जाना चाहिये।
ओपी पांडेय, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास
Social Plugin