कोलारस। कोलारस अनुविभाग से खबर आ रही है कि कोलारस नगर में निर्माणाधाीन PM आवासो की कुटीरो को सरकारी जमीन पर बताकार जमीदौंज कर दिया गया हैं। इस मामले में सबसे खास बात यह है कि इन निर्माणाधीन कुटीरो का निर्माण पीएम आवास योजना से जारी किश्तो से हुआ हैं। अगर यह जमीन सरकारी थी तो इस पर पीएम आवास योजना की किश्ते कैसे जारी हो गई।
जानकारी के अनुसार कोलारस नगर में स्थित आईटीआई के पास जमीन पर रतन कुशवाह, पूरन कुशवाह, काशीबाई कुशवाह, भिम्मा कुशवाह वर्षो से खेती करते हुए निवास कर रहे थे। पीएम आवास योजना के अतंर्गत नगर परिषद कोलारस ने इनके आवास इसी जमीन पर स्वीकृत करते हुए किश्ते भी जारी कर दी।
बताया जा रहा है कि नगर पंचायत ने इस भूमि पर 5 पीएम आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत कर दी और 2 किश्ते क्रमश:40 हजार और 60 हजार भी जारी कर दी। जिससे इन पीएम आवास योजना ते तहत मजुंर आवासो के दिवाले खडी हो गई। बस अगली किश्त का इंंतजार था और छत डालनी शेष थी।
खबर मिल रही है कि उक्त जीमन पर जमीन आजीविका केंद्र के निर्माण के लिए अधिकृत है।इससे पूर्व तहसीलदार कोलारस ने इस जमीन पर निर्माण को लेकर एक माह पूर्व नोटिस देकर कहा था कि यह जमीन सरकारी है इसे अतिक्रमण मुक्त करे।
इसके बाद एसडीएम के निर्देशन में अमला पहुंचा और करीब निर्माणाधीन कुटीर सहित इस जमीन पर बने अन्य निर्माण जमींदौज कर दिए गए। इस मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि यदि जमीन सरकारी थी तो नगर परिषद के अधिकारियों ने यहां आवास और उसके लिए राशि कैसे स्वीकृत कर दी, एसडीएम कार्यालय ने आवासो निर्माण से पहले ही इस कार्य को क्यों नहीं रोका। हैरानी की बात यह है कि इस कार्रवाई के बाद इन गरीब परिवारों के आगे बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
नपाध्यक्ष ने कहा की CM ने की थी घोषणा, इस कारण दी किश्त
इधर इस मामले में प्रशासन की कार्रवाई पर कांग्रेस नेता व नगर परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका साफ कहना है कि निर्माणाधीन कुटीर तोड़े जाने की कार्रवाई पूरी तरह गलत हे। उन्होंने अपने कार्यालय का बचाव करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कोलारस उप चुनाव के दौरान घोषणा की थी कि 2014 से पहले जो भी गरीब सरकारी जमीन पर काबिज हैं उन्हें उसका मालिकाना हक मिलेगा और इसी आधार पर इन लोगों की कुटीर स्वीकृत की गई।
SDM बोले-आजीविका केंद्र का होना है निर्माण
इधर इस मामले में कोलारस एसडीएम आशीष तिवारी का कहना है कि ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को यह जमीन आजीविका मिशन के तहत बनने वाले आजीविका केंद्र के निर्माण के लिए आवंटित की गई है और यहां निर्माण कराया जा सके। इसलिए इस सरकारी जमीन पर निर्मित 6 पक्के निर्माण तोड़े गए हैं, जबकि कुछ को खुद हटा लेने की हिदायत दी गई है। नगर परिषद द्वारा सरकारी जमीन पर कैसे कुटीर स्वीकृत कर दी गई, इसको लेकर एसडीएम का कहना था कि उन्हें भी ऐसी जानकारी मिली है, वह इस संबंध में नगर परिषद सीएमओ से जवाब तलब करेंगे।
काशीबाई बोलीं-जुर्माना तक भर चुकी
रतन कुशवाह की पत्नी काशीबाई और उसका बेटा भी अतिक्रमण मुहिम की चपेट में आया है। सब्जी बेचकर गुजारा करने वाली काशी बाई का कहना था कि वह बरबाद हो गई। आशियाना जमींदोज कर दिया। जबकि उसने बीते कई सालों से इस जमीन पर रहते हुए झोपड़ी के स्थान पर तब कुटीर बनाई थी जब नगर परिषद ने स्वीकृति देकर किश्त भी प्रदान कर दी थी। उसने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि जो जहां रह रहा है, चाहे वह जमीन सरकारी हो, उस पर मकान बना लो। इसलिए कुटीर बनवाई थी, लेकिन जालिम प्रशासन ने मेरे सपनों का घर तोड डाला।
फूट-फूटकर रोई संपत
कमल कुशवाह की मां संपत का भी आशियाना ढहा दिया गया। चाय बेचकर गुजारा करने वाले इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा तो संपत फूट फूटकर रोई और बोली की सरकार बदल गई। इसलिए हमारा घर तोड़ डाला अब शाम के भोजन के भी लाले हैं क्योंकि ग्रहस्थी का पूरा सामान टूटे हुए भवन में दबकर रह गया है।
बच्चों को लेकर मर जाऊंगी
जनवेद की पत्नी कलैया का रो रोकर बुरा हाल था। उसका कहना था कि मेरा पति मजदूरी करके घर का गुजारा करता है। वह मजदूरी पर गया था और मैं बच्चों के साथ घर पर अकेली थी, तभी अधिकारी हिटैची लेकर आ गए और मकान तोड़ दिया। अब गुजर बसर का भी आसरा नहीं रहा। बर्तन भी मकान में दबकर रह गए हैं। खाने तक के लाले हैं। बच्चों को लेकर मर जाऊंगी।
कई साल से खेती कर रहे थे जमीन पर
बीते कई सालों से जिस जमीन पर यह लोग खेती करते रहे। उसी पर झोपड़ी बनाकर रहते थे। पिछली सरकार ने जब कहा कि जो जहां रह रहा है वह वहां अपना मकान बना लें। उसके बाद जब पीएम आवास के लिए पैसे भी मिल गए तो इन लोगों ने मकान बनाने की शुरूआत कर दी थी। अभी पूरी तरह मकान बनकर तैयार भी नहीं हुए थे कि मकान तोड़ दिए गए।
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