गुना लोकसभा से सांसद सिंधिया के खिलाफ भाजपा बीरेन्द्र पर लगा सकती है दांव ! | Shivpuri News

शिवपुरी। क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास सिपहसलाहर माने जाने बाले बीरेन्द्र रघुवंशी इन दिनों कांग्रेस को छोडकर भाजपा में राजनीति कर रहे है। पहली बार कांग्रेस से उपचुनाव में जीत कर विधानसभा में पहुंचे। उस समय पूरा की पूरा मंत्री मण्डल बीरेन्द्र रघुवंशी को हराने में जुटा हुआ था। 

परंतु अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया और शहर में निशुल्क पानी ने बीरेन्द्र रघुवंशी को राजनीति में सक्रिय किया और विधानसभा भेज दिया। उसके बाद दूसरी बार शिवपुरी विधानसभा से बुआ के खिलाफ उतरे बीरेन्द्र ने शिवपुरी की राजनीति में सबसे कठिन टक्कर देते हुए बुआ सहित महल की राजनीति को सोचने पर मजबूर कर दिया। लेकिन सांसद सिंधिया के खुलकर समर्थन मे न आने से वीरेन्द्र नाराज हो गए और उन्होंने कांग्रेस का दमान छोड भाजपा का दामन थाम लिया। 

पेाहरी के पूर्व विधायक हरीवल्लभ शुक्ला कांग्रेस में शामिल होने के पूर्व सिंधिया परिवार के विरूद्ध खुलकर मोर्चो संभालते थे। सिंधिया राजपरिवार के खिलाफ विषवमन का वह कोई मौका नहीं छोड़ते थे। कांग्रेस में भी उन्होंने अपनी इसी शैली के कारण 1998 के विधानसभा चुनाव में शिवपुरी सीट से भाजपा उम्मीदवार यशोधरा राजे सिंधिया को कड़ी टक्कर दी थी और मजबूत उम्मीदवार यशोधरा राजे महज साढ़े 6 हजार मतों से चुनाव जीत पाई थी। इसके बाद हरीवल्लभ कांग्रेस से निकल गए और उन्होंने सिंधिया परिवार के खिलाफ झंडा बुलंद किया। उनकी इसी छवि के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री उमाभारती ने उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव मेें भाजपा का टिकट दिलाया। जबकि उस समय हरीवल्लभ पोहरी सीट से समानता दल के विधायक थे। 

हरीवल्लभ मजबूती से लड़े और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया को कड़ी टक्कर दी। उनके इसी प्रभाव के कारण सांसद सिंधिया ने उन्हें पार्टी मेें लाने का गंभीर प्रयास किया। जिसमें वह सफल रहे लेकिन महल के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाला इलाके की राजनीति में कोई नहीं रहा। इस कमी को कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। एक जमाने में वह सांसद सिंधिया के काफी नजदीक थे और सिंधिया ने उन्हें 2007 के शिवपुरी विधानसभा चुनाव मेें कांग्रेस का उम्मीदवार न केवल बनाया था बल्कि उन्हें जिताने के लिए पूरी ताकत झौंक दी।

जिसके परिणाम स्वरूप समूची भाजपा सरकार बौनी हो गई थी और वीरेंद्र रघुवंशी चुनाव जीत गए थे। लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा जिसमें वह पराजित हुए और उन्होंने आरोप लगाते हुए कि सिंधिया ने उन्हें हराया है, कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हुए। पिछले विधानसभा चुनाव में कोलारस में उन्होंने चुनाव इस अंदाज में लड़ा था मानो सामने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र यादव नहीं बल्कि स्वयं सिंधिया हैं और वह विजयी भी रहे। इससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। ऐसे में उन्हें भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाए होने लगी हैं।