शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनावों में इस बार मतदाताओं की चुप्पी से स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी उम्मीद्वार की जीत की सुनिश्चित भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। इस चुनाव में एंटीइनकम्वंशी फैक्टर का प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। उपचुनाव सहित पिछले चुनाव में जीते पांच में से चार विधायकों को उनकी पार्टी ने टिकट दिए हैं ऐसी स्थिति में एंटी इनकम्वंशी फैक्टर क्या गुल खिलाता है यह देखने वाली बात होगी।
पांच में से सिर्फ एक विधायक का टिकट कांग्रेस ने काटा है। करैरा की निवर्तमान विधायक शकुन्तला खटीक का टिकट काटकर कांग्रेस ने जसवंत जाटव को उम्मीद्वार बनाया है, लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल चतुष्कोणीय संघर्ष की स्थिति देखने को मिल रही है। भाजपा का बागी उम्मीद्वार जहां भाजपा उम्मीद्वार का सिरदर्द बना हुआ है वहीं बसपा उम्मीद्वार कांग्रेस उम्मीद्वार के दिल की धड़कनों को बढ़ा रहा है।
जिले की पांच सीटों में से चूंकि चार विधायक फिर से मैदान में हैं इसलिए पिछले चुनाव में उनके द्वारा किए गए वायदे भी मतदाताओं के जेहन में हैं। मतदाता उनके द्वारा पिछले पांच साल में किए गए कार्यों का भी मूल्यांकन करने में जुटा हुआ है। पिछले चुनाव में जीतीं शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया, पोहरी विधायक प्रहलाद भारती और कांग्रेस के पिछोर विधायक केपी सिंह पुन: मैदान में हैं। कोलारस में 2013 के चुनाव में जीते रामसिंह यादव दिवंगत हो चुके हैं और उनके स्थान पर कांग्रेस ने उनके पुत्र महेन्द्र यादव को उपचुनाव में टिकट दिया था जिसमें वह विजयी हुए थे और अब इस चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें ही उम्मीद्वार बनाया है।
पांच में से चार विधायकों को टिकट मिलने से स्पष्ट है कि उनके दलों ने उनके प्रति विश्वास व्यक्त किया है, लेकिन देखना यह है कि जनाकांक्षाओं की कसौटी पर वह कितने खरे उतरते हैं। पांच सीटों में से सिर्फ एक सीट पिछोर ऐसी हैं जहां से भाजपा ने अपने पराजित हुए उम्मीद्वार प्रीतम लोधी को फिर से टिकट दिया है जबकि अन्य सीटों से पराजित हुए उम्मीद्वार बदल दिए गए हैं। शिवपुरी विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को उम्मीद्वार बनाया था, लेकिन अब वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए हैं और भाजपा ने उन्हें कोलारस से टिकट दिया है।
शिवपुरी में कांग्रेस ने उनके स्थान पर नए नवेले सिद्धार्थ लढ़ा को टिकट दिया है जिनकी स्लेट बिल्कुल कौरी है। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में और उपचुनाव में भाजपा ने देवेन्द्र जैन को टिकट दिया था, लेकिन अब उनके स्थान पर भाजपा उम्मीद्वार के रूप में वीरेन्द्र रघुवंशी मैदान में हैं। पोहरी विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में पराजित हुए कांग्रेस प्रत्याशी हरिबल्लभ शुक्ला को पार्टी ने टिकट न देते हुए उनके स्थान पर सुरेश राठखेड़ा को टिकट दिया है।
श्री राठखेड़ा भी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। करैरा विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक भाजपा प्रत्याशी के रूप में पराजित हुए थे अब भाजपा ने उनके स्थान पर उनके सुपुत्र राजकुमार खटीक को टिकट दिया है। जिसके विरोध स्वरूप टिकट के दावेदार पूर्व विधायक रमेश खटीक सपाक्स प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ गए हैं। जिले का चुनावी परिदृश्य देखने से स्पष्ट होता है कि मतदान के 11 दिन पहले किसी भी दल की कोई स्पष्ट लहर देखने को नहीं मिल रही है।
मतदाताओं की रहस्यमय चुप्पी बनी हुई है और किसी भी विधानसभा क्षेत्र में कोई भी प्रत्याशी साफ जीतने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। हालांकि कांग्रेस नेताओं का यह कहना है कि मतदाताओं की चुप्पी से स्पष्ट है कि जिले में सत्ता विरोधी लहर काम कर रही है जबकि भाजपा नेता ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि यदि यह लहर सत्ता विरोधी होती तो मतदाता मुखर होकर अपनी बात कहता।
इस चुनाव में पहले जिले में कम से कम दो सीटें ऐसी होती थी जिन पर सुनिश्चित रूप से कहा जा सकता था कि यहां से यह उम्मीद्वार जीतेगा, लेकिन इस चुनाव में अभी तक परिदृश्य पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है और इससे सत्ता की दौड़ में लगे दलों में चिंता का वातावरण बना हुआ है। देखना यह है कि इस चुनाव में जिले में क्या पहली बार आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे अथवा नहीं।
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