शिवपुरी। जिले में इन दिनों कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है। यहां चुनावी घमासान में हर जगह कांग्रेस और भाजपा दोनों आमने सामने है। परंतु जिले के पोहरी विधानसभा में कांग्रेस अपनी ही चाल में उलझी हुई नजर आ रही है। समीक्षकों का कहना है कि यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश राठखेडा कमजोर नजर आ रहे है। अब खुद प्रत्याशी अपने आप को कमजोर महसूस कर रहे है। परंतु उने इसके बीच एक आशा की किरण नजर आ रही है तो वह है कांग्रेस के स्टार प्रचारक और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया। जिनसे कांग्रेस आस लगाकर बैठी है कि सांसद सिंधिया आएगें और कोई जादू कर जाएगें और यहां कांग्रेस बढत बना लेगी।
जैसा कि पोहरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने प्रहलाद भारती को प्रत्याशी घोषित किया है। वही कांग्रेस ने इस विधानसभा से धाकड समुदाय में सेंध लगाने के लिए सुरेश राठखेडा को अपना प्रत्याशी बनाया है। इसी बीच दोनों पार्टी के नेताओं के लिए परेशानी बनकर उभरे वह है बसपा के प्रत्याशी कैलाश कुशवाह। कैलाश कुशवाह भाजपा से बगावत कर बसपा के टिकिट पर पोहरी विधानसभा से चुनावी मैदान में है।
सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र में धाकड समुदाय और ब्राहमण समुदाय ही यहां की राजनीति की स्थिति तय करते आए है। पिछले दो चुनावों से यहां भाजपा के प्रत्याशी प्रहलाद भारती विजयी रहे है। इस बार माना जा रहा था कि चुनाव धाकड बरसेज ब्राहमण होगा। परंतु यहां कांग्रेस ने इस बाजी में दाब खेलते हुए धाकड समुदाय के सुरेश राठखेडा पर अपना दाव आजमाया।
कांग्रेस मानकर चल रही थी कि सुरेश क्षेत्रीय होने के साथ साथ इस क्षेत्र में धाकड समुदाय में सेंध लगाकर बाजी मार सकती है। इसका नतीजा यह सामने आया कि चुनाव में पूरे जोर शोर में मैदान में उतरे सुरेश राठखेडा ने पुरजोर प्रयास कर अपनी ही समाज को एकजुट करने का प्रयास किया। परंतु तभी सामने आया कि सुरेश राठखेडा पर पहले से ही आपराधिक मामले दर्ज है और वह क्षेत्र के दंबग परिवार से भी ताल्लुक रखते है।
जिसका खामियाजा यहां कांग्रेसी प्रत्याशी को उठाना पड सकता है। इसके विपरीत समाज के लोग प्रहलाद भारती के 10 साल के विकासकारी कामों के आधार पर उन्हें पसंद कर रहे है। इसके साथ ही प्रहलाद भारती के पास पार्टी के साथ साथ आदिवासीयों सहित अन्य जातियों की दम पर क्षेत्र में हूंकार भर रहे है। लेकिन इसी बीच इस हूंकार को दबाने का प्रयास बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह ने किया।
यहां ब्राहमण जो दंश की राजनीति झैल रहे थं। उन पर उम्मीद की किरण बनाई बसपा प्रत्याशी कैलाश ने। कैलाश कुशवाह ने अपने बीएसपी के बोट बैंक,कुशवाह समाज को साथ लेकर चुनावी मैदान में डट गए थे। इसी बीच जब ब्राहमण समाज को दोनों ही पार्टीयों ने तबज्जों नहीं दिया तो ब्राहमण समाज भी इन दोनों प्रमुख दलों को दरकिनार कर हाथी पर तिलक कर सकते है।
अगर बात पोहरी विधानसभा की करें तो यहां राजनीतिक समीकरण दिन व दिन बदल रहे है। जिसका नतीजा यह निकलकर सामने आ रहा है कि परिणाम जो भी हो परंतु यहां लडाई भाजपा और बसपा में हो सकती है। इस बात से ऐसा नहीं है कि कांग्रेस बेखबर हैं अपितु कांग्रेसी खेमें में इस खबर से हडकंप मच गया। परंतु करें तो क्या करें। अब कांग्रेस यहां सांसद सिंधिया पर टिकी हुई है कि अाखिर सांसद सिंधिया कब आएगे और कांग्रेस को इस संकट से निकालेंगे।
बताया जा रहा है कि पोहरी विधानसभा में सांसद सिंधिया पोहरी में ही एक आमसभा को संबोधित कर चुके है। जबकि दूसरी सभा 26 तारीक को बैराड में आयोजित की जाएगी। जिसमें सांसद सिंधिया कांग्रेसी प्रत्याशी के समर्थन में आमसभा को संबोधित करेंगे।
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