प्रिय चुनाव आयोग, स्वास्थ्य सेवाओं पर भी आचार संहिता लगा दो ना प्लीज..

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श्रीमद डांगौरी। प्रिय चुनाव आयोग, अब तो बस तुम ही उम्मीद की एक किरण बचे हो। बड़े जलवे हैं तुम्हारे, बीमार कर्मचारी भी काम कर रहे हैं। कलेक्टर मैडम के लिए तो जैसे सिर्फ आप ही बचे हो। वो किसी दूसरे काम पर ध्यान ही नहीं दे रहीं हैं। 

प्रिय चुनाव आयोग, कहने तो शिवपुरी राजघरानों वाला शहर है परंतु यह भी किसी जर्जर महल जैसा हो गया है। यहां सड़कों और पार्कों की क्या बात करें, जिंदा इंसानों की कीमत नहीं है। हमारी विधायक अपडाउन करती रहतीं हैं परंतु ऐसे सभी मुद्दों पर अक्सर वो गायब हो जातीं हैं जिसमें जनता सीधे पीड़ित हो रही हो। 

श्रीमंत सांसद, श्रीमंत विधायक, पॉवरफुल कलेक्टर मैडम और ना जाने कौन-कौन इस शहर के रखवालों/माता-पिता ओर पालाकों की लिस्ट में दर्ज हैं परंतु एक जरा से मच्छर को नहीं मार पा रहे हैं। 

डेंगू वाले मच्छरों की आबादी शहर की आबादी के बराबर होती जा रही है। हालात तो देखिए लोग अस्पतालों में, पैथोलॉजी लैबों के सामने नोटबंदी जैसी कतारें लगाकर खड़े हैं। वो मासूम जानते ही नहीं कि उनके भी कुछ अधिकार हैं। इस तरह मरीजों को कड़कती धूप में खड़ा नहीं किया जा सकता। यह अपराध है। 

प्रिय चुनाव आयोग, सुना है आप महिलाओं को, विकालांगों को, पलायन कर चुके मजदूरों को मतदान कराने के लिए काफी कोशिश कर रहे हो। पैसा भी खर्च कर रहे हो। जरा बताइए तो, इतने सारे बीमार मरीजों से मतदान नहीं कराइएगा क्या ? इनके लिए भी कुछ कीजिए ना। बस स्वास्थ्य सेवाओं पर आचार संहिता लागू कर दीजिए, राम कसम, सारे कुर्सी वाले इस कदर भिनभिनाएंगे कि डेंगू वाले मच्छर डरकर ही भाग जाएंगे। 

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