इन ग्रहों ने बनाया नंदलाल को पूर्ण परमेश्वर, बांचिए श्री कृष्ण की जन्मकुडंली

शिवपुरी। जब भी अविनाशी परमब्रहम का मृत्यु लोक में प्रकाट्य होता है उस दिन सभी ग्रह-नक्षत्र अपनी-अपनी शुभ राशि अवस्था में चले जाते हैं। जब भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे। उस दिन प्रकृति ने आंनदमयी होते हुए, जब सभी ग्रह नक्षत्र अपनी शुभ अवस्था में आकर विराजमान हो गए। ग्रहों ने भगवान श्री योगेश्वर की जन्म समय ऐसा योग बनाया जो आज तक नही बना है। 

बाल गोपाल का जन्म आज अर्थात भाद्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में महानिशीथ काल में वृषभ लग्न में हुआ था। वृषभ लग्र की कुंडली में लगन में चन्द्र और राहू चतुर्थ भाव में, सूर्य पंचम भाव में बुध एंव छठे भाव में शुक्र और शनि बैठे हैं। जबकि सप्तम भाव में केतु, भाग्य स्थान में मंगल तथा ग्यारहवें यानी लाभ स्थान में गुरू बैठे हैं।

कुंडली में राहू को छोड दें तो सभी ग्रह उच्च अवस्था में हैं। यह कुडंली स्वत:दर्शाती है कि यह किसी महामानव की कुंडली हैं। भगवान श्री कृष्ण कुडंली में लग्न में उच्च राशिगत चंद्र के द्ववारा मृदंग योग बनने के फलस्वरूप ही कृष्ण कुशल शासक और जनमानस प्रेमी बने। वृषभ लग्न हो और उसमें चन्द्रमा विराजमान हो तब व्यक्ति जनप्रिय नेता अथवा प्रशासक होता हैं। 

भगवान केशव की लग्र कुडंली में सभी ग्रह वीणा योग बना रहे हैं, इस कारण ही कृष्ण गीत, नृत्य, संगीत प्रेमी होकर इन तीनो कलाओ में प्रवीण हुए। इन ग्रहों ने श्री योगेश्वर की कुंडली में पर्वत योग बनाया है, इसलिए यश इनके पीछेे-पीछे भागा है। 

बुध ने पंचम विद्या भाव में इन्है कूटनीतिज्ञ विद्वान बनाया तो मकर मंगल ग्रह उच्च होने के कारण शुद्व और धर्मात्म आत्माओ का सम्मान करने की प्रवृति जिसे पवित्र योग कहा जाता हैं। वही सुर्यसे एकादश भाव में चंद्र हाने के से भास्कर योग का निर्माण हो रहा है,यह योग किसी भी जातक को पराक्रमी,वेंदाती धीर और समर्थ बनाता हैं। इन ग्रहो के कारण ही नंदलाल ही पूर्ण पररेश्वर की उपाधि मिली है।