
जैसा विदित है कि पिछोर सन 93 से केपी सिंह का अभेद किला रहा हैं। सन 93 में केपी सिह ने तत्कालीन राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता को चुनाव मैदान में बुरी तरह से हराया था। इस चुनाव से लक्ष्मीनारायण गुप्ता की सक्रिय राजनीति से पूरी तरह दूर हो गए।
सन 93 से अभी तक पिछोर विधानसभा से केपी सिंह से जो भी लड़ा उसे इस पिछोर के पहलवान ने चित्त कर दिया। उसमें स्वामी लोधी बडा नाम हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 50 हजार लोधी मतदाता हैं। इसी संख्या बल के आधार पर भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम उमाभारती ने अपने भाई स्वामी लोधी को इस विधानसभा से उतारा था।
इस चुनाव में पिछोर के पहलवान केपी सिह को भाजपा ने चारो ओर से घेरने की कोशिश की,लेकिन पिछोर के इस अखाडे में काग्रेंंस के इस पहलवान ने भाजपा के स्वामी प्रसाद को 20 हजार वोटो से चित्त कर दिया था। केपी सिंह ने अभी तक भैया साहब लोधी,जगराम यादव,स्वामी प्रसाद लोधी और प्रीतम लोधी को हराया हैं।
इस विधान सभा में जातिगत समीकरण को फैल करने को कौशल केपी सिंह के पास हैं। कह सकते है कि कांग्रेस का नही केपी सिंह का व्यक्तिगत गढ हैं। और उनके इस अभेद किले को पराजित करना किसी के बस की बात नही हैं।
लेकिन पिछले विधानसभा में भाजपा ने आयातित प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी को चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने चुनाव अवश्य लडा लेकिन वह मानसिक रूप से हार स्वीकार कर चुकी थी,इस कारण ही भाजपा को कोई भी धुरंधर नेता और सीएम यहां चुनाव प्रचार करने नही आए। लेकिन भाजपा के इस आयातित प्रत्याशी ने चौकाने वाले परिणाम दिए।
कभी औसत 20 हजार वोटो से जीतने वाले केपी सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र 6500 वोटो से चुनाव जीते। भाजपा ने माथा पकड लिया कि काश थोडी सी मेहनत कर लेते। पिछली बार पिछोर से प्रीतम सिंह लोधी का अचानक उतारा गया लेकिन अबकी बार प्रीतम लोधी अभी से पिछोर में डट गए है और चुनावो को लेकर ऐक् शन मोड में हैं।
अभी सीएम की सभा में यहा ऐतहासिक भीड थी। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा ने यहां से मानसिक बढत कर ली हैं। भाजपा इस अभेद किले में सैंधमारी करने के लिए अभी से गणित लगाना शुरू कर दिया हैं। भाजपा अगर मेहनत करे पिछोर में भी कमल का फूल खिल सकता हैं।
शायद इसे ही भांप कर केपी सिंह चुनाव लडने को लेकर उदासीन दिखाई दे रहे हैं। बीजासेन माता मंदिर के सभागार में आयोजित बैठक में कांग्रेस कार्यकर्ताओ केपी सिंह ने खुलकर बातचीत की बताओ की मेरी स्थिती कैसी हैं और आगे कैसी रहेंगी। उन्होने कहा कि मैं चुनाव लडू की नही इसके विषय में आप अपनी राय दे। यदि चुनाव चुनाव लडने के प्रति कार्यकर्ताओ की राय नही है तो मैं चुनाव नही लडूंगा। यह सभी बाते आप पर निर्भर करती हैं। क्यो कि अभी भी समय है कुछ गलती हो तो उसे सुधार सकते हैं।
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