सचिवों को ब्लेकमैल कर रहे है जनपद शिवपुरी के अधिकारी: सूचना के अधिकार में फंस गए

शिवपुरी। शिवपुरी के जनपद पंचायत में एक अजीब तरह का मामला प्रकाश में आया है। एक सचिव के खिलाफ फर्जी जॉब कार्ड भरने की शिकायत हुई। जांच हुई और उसे के मामले में सस्पेंड कर दिया गया लेकिन जब RTE के तहत शिकायत और जांच की प्रमाणित प्रति मांगी गई तो पूरी जनपद में हडक़ंप मच गया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जनपद पंचायत ने सूचना के अधिकार अधिनियम को एक आम नागरिक पर लागू कर दिया और उसे नोटिस जारी कर दिया गया। कुल मिलाकर एक गलती को छुपाने के चक्कर में दूसरी कर बैठे। मजेदार यह है कि मामले में लोक सूचना अधिकारी और जांच अधिकारी एक ही है। 

यह हुई थी शिकायत 
शिवपुरी के रहने वाले एक दीपक सक्सैना ने जनपद पंचायत शिवपुरी ग्राम पंचायत बारा के सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ की कलेक्टर सहित कई जगह भ्रष्टाचार और अनिमितताओं की शिकायत की। इस शिकायती आवेदन के अनुसार सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ ने अपने परिजनों बहन और मां के मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड बनाए और इन जॉबकार्डो पर भुगतान भी किया है। सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ अपनी पंचायत में नही रहते है। 

जांच के बाद सचिव को सस्पेंड कर दिया गया
उक्त शिकायत के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ नीतू माथूर ने शिवपुरी जनपद के मनरेगा के पंचायत इंस्पेक्टर दौलत सिंह जाटव को जांच अधिकारी बनाया। इंस्पेक्टर दौलत सिंह ने अपनी जांच में शिकायत को सही पाते हुए सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की। इस अनुसंशा पर सीईओ नीतू माथुर ने आरोपित सचिव को सस्पैंड कर दिया। 

RTI लगी तो मचा हडक़ंप
इस मामले में एक सूचना का अधिकार लगाया गया और फर्जी जॉबकार्ड में फं से सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ के खिलाफ शिकायती आवेदन एवं प्रमाण सहित जांच प्रतिवेदन मांगा गया। इस आरटीआई के लगते ही जनपद में हडक़ंप मच गया। 

यह है इस जांच का घोटाला
जब आवेदन कर्ता ने इस मामले की जानकारी आरटीआई से चाही गई तो शिवपुरी जनपद के पीआई दौलत सिंही जाटव ने शिकायत कर्ता दीपक सक्सैना को एक पत्र क्रंमाक. सू/के/अधिकार/2017 दिनांक 06.01.18 को लिखा। इस पत्र को हम स:शब्द प्रकाशित कर रहे है। आप भी पढ़िए क्या गजब कर डाला। 

प्रति श्री दीपक सक्सैना
गौशाला पाराशर फार्म जिला शिवपुरी 
विषय.सूचना के अधिकार के तहत जानकारी उपलब्ध कराने हैतु

संदर्भ. श्री लोकेन्द्र सिंह वशिष्ठ निवासी रामबाग कॉलोनी सर्किट हाऊस रोड जिला शिवपुरी का आवेदन 

उपरोक्त विषय एवं संन्दर्भित सूचना के अधिकार के तहत प्रस्तुत आवेदन पत्र के द्वारा ली गई बिना प्रमाणित पत्रो के आधार पर सचिव के ना तो हस्तलेखा है,और ना ही हस्ताक्षर है उक्त पत्रो को सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ का बताकर शिकायत की गई है। 

अंत: इसके संबंध में लेख है कि आपके द्वारा की गई शिकायत के संबंध में अभिलेख प्रस्तुत करे जिससे सूचना के अधिकार के तहत संबधित को प्रमाणित जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। 
लोक सूचना अधिकारी
जनपद पंचायत शिवपुरी

अब यह गले की हड्डी बना जनपद पंचायत के सीईओ को 
बताया जा रहा है कि उक्त सूचना का अधिकारी जनपद पंचायत शिवपुरी के ऑफिस में लोक सुचना अधिकारी के नाम से लगाया गया था। सूचना के अधिकार में पंचायत सेकेटरी रोशन सिंह वशिष्ठ के सस्पैंड करने की जांच,शिकायतकर्ता के शिकायत की प्रमाणित प्रति मांगी गई थी उक्त सुचना का अधिकार 1 फरवरी 2018 को लगाया गया था। इस सूचना के अधिकार की जानकारी अपने निर्धारित समय 30 दिवस के अंदर नही दी गई। इसके बाद इस मामले की अपील सीईओ जनपद पंचायत शिवपुरी गगन वाजपेयी को की गई। लेकिन आज दिनाक तक सीईओ गगन वाजपेयी ने इस अपील का निराकरण नही किया है। 

दौलत सिंह जाटव इस सूचना के मामले में लोक सूचना अधिकारी थे। उन्होने इस मामले की गलत जांच की और पंचायत सेकेटरी को सस्पैंड करवा दिया। उनका इस सूचना के अधिकार में मांगे गए दास्तावेजो को न देने का कारण समझ में आता है लेकिन सीईओ जनपद पंचायत शिवपुरी इस सूचना के अधिकार की अपील को क्यो दवा कर बैठे है। इस अपील की भी निर्धारित समय सीमा निकल चुकी है। इस मामले को देखकर लगता है कि कैसे सूचना के अधिकार के नियमो को दबाया जा रहा है। या कहानी कुछ और है..............

कही यह तो नही है कहानी 
इस पूरे मामले की पोल आरटीआई में जारी हुए इस नोटिस ने पोल खोल दी है। जांच अधिकारी ने कुछ दस्तावेजों की कथित फोटोकॉपी के आधार पर जांच पूरी कर डाली। अब मामला जांच अधिकारी की नौकरी पर बन आया है। सवाल यह है कि क्या यह ग्राम पंचायत सचिव को ब्लैकमेल कर वसूली करने की प्रक्रिया थी। ओर यह प्रक्रिया जनपद पंचायत शिवपुरी के सीईओ गगन वाजपेयी के कहने पर  खेली जा रही थी। 

शिकायत मिलने पर उससे किसी तरह की रिश्वत की मांग की गई थी जो नहीं मिलने की स्थिति में उसे सस्पेंड कर दिया गया या फिर काली कमाई का कुछ और ही खेल था जिसमें सचिव ने साथ नहीं दिया तो झूठी शिकायत कराई गई और फि र सस्पेंड कर दिया गया। इसमे पूरा खेल जबरिया वसूली का नजर आता है। क्यो की अब साहब इस मामले के सूचना के अधिकार जानकारी को  अपील में दबाए बैठे है।