
खास बात यह रही कि सभी ब्लॉक ने बीएमओ ने कर्मचारियों को अपनी मर्जी से मनमाने मानदेय पर नियुक्ति प्रदान की। इन नियुक्तियों के लिए सीएमएचओ कार्यालय से एक पत्र भी जारी कर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए थे।
ऐसे हुआ खुलासा
शिवपुरी में हुए इस भर्ती घोटाले का खुलासा जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर अवमानना याचिका के क्रम में उस समय हुआ जब भोपाल से रोगी कल्याण समिति के तहत की गई भर्तियों की जानकारी तलब की गई। जब अधिकारियों ने जानकारी देखी तो उसमें न तो प्रोसिडिंग से संबधित पुख्ता कार्रवाई मिली और नही एसडीएम की सहमती। बताया गया है कि इन नियुक्तियो में प्रत्येक नियुक्ति से ईच्छायुक्त धन मिला है।
यह थे नियम, लेकिन हुआ और कुछ
नियमानुसार उक्त भर्तियो के लिए रोगी कल्याण समिति की बैठक आयोजित करने के साथ ही उसकी प्रोसिडिंग तैयार की जानी थी। इस प्रोसिडिंग पर एसडीएम की सहमति लिया जाना अनिवार्य था,परन्तु इन भर्तियो के दौरान इस नियम को फ्लो नही किया गया। जिम्मेदार अधिकारियों ने सिर्फ कागजी खाना पूर्ति करके स्वास्थय अधिकारियों ने नियुक्तिया कर दी। इन लगाए गए कर्मचारियों को ५५०० रू का मानदेय देना था लेकिन इन कर्मचारियों के वेतन में एकरूपता नही है। इस पूरे ममाले में जमकर वसूली करने की खबर मिल रही है।