
पुरानी शिवपुरी, कमलागंज आदि क्षेत्रों में पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग तरस रहे हैं तथा रातभर एवं दिन में काम धंधे को छोडक़र पानी की जुगाड़ में लगे हुए हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति हाथी खाना में स्थित चौंपड़ा और गांधी पार्क, फिजीकल पानी की टंकी पर बनी हुई है। जहां दूर दूर से लोग पानी भरने के लिए रात रात भर रतजगा कर रहे हैं। यहां तक कि भीषण गर्मी में साइकिलों और गाडिय़ों से पानी ढो रहे हैं। कई लोग पानी की किल्लत से परेशान होकर पार्षद को कोस रहे हैं तो कई अधिकारियों को।

रात भर से लोग गांधी पार्क में स्थित पानी की टंकी पर कट्टियों की लंबी लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा रहे हैं। गांधी पार्क में पानी भरने पहुंचे वार्ड क्रमांक 32 के निवासी अकरम खान, ऊषा जाटव, जगदीश बाथम, वार्ड नम्बर 4 के निवासी भागीरथ बाथम, मोहनलाल जाटव, पूजा बाथम और श्री राम कॉलोनी की निवासी मनीषा वाल्मिक का कहना है कि वह रात करीब 2 बजे से लाइन में लगे हैं। तब कहीं जाकर आज दोपहर 1 बजे तक उनका पानी भरने का नम्बर आया है।
पानी की व्यवस्था के चलते वह अपने परिवार की देखरेख नहीं कर पा रही हैं। उनका कहना है कि उनके वार्ड पार्षदों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और अपने चहेतों को टैंकरों से पानी भरा रहे हैं। जबकि वार्ड की जनता पानी के लिए दर दर भटक रही है। यही हालत हाथी खाना में स्थित चौपड़ा पर बनी हुई है। जहां श्री राम कॉलोनी से अपनी पुत्री के साथ पानी भरने आई रानी बाल्मिक का कहना है कि वह मां बेटी अकेली हैं और वह प्रतिदिन पानी की व्यवस्था के लिए इधर उधर घूमती है आज उन्हें बमुश्किल चौपड़ा से 12 कट्टी पानी मिला है।
उनके घर में कोई पुरूष न होने के कारण उनकी 8 वर्षीय पुत्री साइकिल पर पानी टांगकर घर ले जाती है। कई बार वह अपनी पार्षद से वार्ड में टैंकर डलवाने के लिए कह चुकी हैं, लेकिन उनकी कॉलोनी में टैंकर नहीं आता है। नबाब साहब रोड़ पर रहने वाली लक्ष्मी कुशवाह भी अपने पार्षद से काफी खफा हैं। उनका कहना है कि सुबह से वह चौपड़ा पर लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं, लेकिन अभी तक उनका नम्बर नहीं आया है। पानी की व्यवस्था के कारण वह बच्चों की देखरेख नहीं कर पा रही हैं।
बोर पर खाली कट्टियां टांगकर लगा रहे हैं नम्बर
ग्वालियर बायपास और गांधी कॉलोनी में लगे बोरों को खोलने ओर बंद करने का समय निर्धारित है, लेकिन उनमें भी पानी की कमी होने के कारण बहुत कम ही चल पाते हैं ऐसी स्थिति में लोग बंद बोर पर अपनी कट्टियां टांगकर नम्बर लगा देते हैं और जब बोर खुलने का समय होता है तो वह अपने बर्तनों को बोर के आगे लगाकर खड़े हो जाते हैं इस तरह लोग पानी की व्यवस्था कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।