डेढ़ साल से खुदी पड़ी है सडक़, जनजीवन हुआ बेहाल, ठेकेदार का नहीं अता पता

शिवपुरी। नई पुलिस लाइन स्थित सडक़ जो बायपास को रेलवे स्टेशन से जोड़ती है, लगभग डेढ़ साल से खुदी पड़ी है। ठेकेदार ने इस सडक़ को खोदकर डाल दिया है और निर्माण नहीं किया जा रहा है। इससे इस पूरे इलाके के लोगों का जीवन नारकीय बना हुआ है। बरसात में इस सडक़ पर हालात काफी खतरनाक होने की आशंका है। बताया जाता है कि नगरपालिका और ठेकेदार के बीच विवाद के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।जानकारी के अनुसार सर्किट हाउस से व्हीआईपी रोड़ गुजरते हुए जब बायपास पर पहुंचते हैं तो वहीं से नई पुलिस लाइन वाली सडक़ प्रारंभ हो जाती है। यहां से रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 800 मीटर है। नई पुलिस लाइन में लगभग 500 परिवार निवास करते हैं। इनका कहना है कि डेढ़ साल पहले यह रोड़ ऐसी थी कि जिससे काम चलाया जा सकता था, लेकिन जब रेलवे स्टेशन जाने के लिए इस रोड़ को बनाने का निर्णय लिया गया तो नागरिकों ने इसका स्वागत किया, क्योंकि इस रोड़ के बनने से रेलवे स्टेशन जाने वाले लोगों को भी एक अच्छा रास्ता मिल जाता। 

सडक़ बनाने के लिए टेंडर हुए और ठेकेदार ने रोड़ खोदकर डाल दी, लेकिन इसके बाद उसने इस सडक़ की सुध नहीं ली। वर्तमान में इस सडक़  पर जो हालात हैं वह इतने खतरनाक है कि स्कूली बच्चों को ले जाने वाले ऑटो या स्कूल बस कभी भी पलट सकती है। सडक़ के दोनों ओर कॉलोनियां हैं तथा स्कूल भी है एवं रोड़ न बनने से उन्हें किस नारकीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है यह आसानी से समझा जा सकता है। 

इस क्षेत्र के निवासियों को अब चिंता हो रही है कि बरसात में उनका क्या होगा? क्योंकि बरसात में एक तरफ यह सडक़ पूरी तरह दल-दल में बदल जाएगी, जगह-जगह पानी भर जाएगा। जिसमें पनपते कीड़े-मकौड़े बीमारी को निमंत्रण देंगे और आए दिन दुर्घटनाएं घटित होंगी, लेकिन शासन और प्रशासन निष्क्रिय बना हुआ है।

पुलिस लाइन वाली सडक़ न बनने वाली सडक़ में शामिल है
ठेकेदार द्वारा कोर्ट रोड़ सहित जिन पांच सडक़ों को नहीं बनाया जा रहा उनमें नई पुलिस लाइन वाली यह सडक़ भी शामिल है। ठेकेदार का कहना है कि पुराना भुगतान न मिलने के कारण वह सडक़ नहीं बना रहा। यह मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है जहां से बताया जाता है कि ठेकेदार को स्टे मिला हुआ है। इस कारण नगरपालिका दूसरा टेंडर भी नहीं लगा पा रही है, लेकिन इस स्थिति में इस क्षेत्र के नागरिक जिस नारकीय यातना को भोग रहे हैं उसे समझा जा सकता है।