
तात्याटोपे बलिदान स्थल को लेकर जो जनभावनाएं जुड़ी है उसकी अभिव्यक्ति 10 मई को तब हुई जब शहीद तात्याटोपे की प्रतिमा को रिपेयरिंग कराने का बहाना लेकर नगरपालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह हिटैची मशीन की सहायता से हटवा रहे थे। मजदूरों ने तात्याटोपे की प्रतिमा स्टैण्ड पर सब्बलों से प्रहार करना शुरू कर दिया था और वह जूते पहनकर प्रतिमा का अनादर कर रहे थे।
संयोग से उसी समय कांग्रेस पार्षद आकाश शर्मा वहां से गुजरे और प्रतिमा के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को देखकर वह कुपित हो उठे और उनके उग्र तेवर को देखकर प्रतिमा वहां से हटाई नहीं जा सकी और इसके बाद शहर के अनेक लोग तात्याटोपे के सम्मान में मैदान में आ गए। शहर के युवाओं ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और अल्टीमेटम दिया कि यदि प्रतिमा स्थल से छेड़छाड़ की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, लेकिन इस मामले में निर्णायक मोड़ तब आया जब अमर शहीद तात्याटोपे के प्रपोत्र सुभाष टोपे ने मंगलवार को एक ज्ञापन सह आपत्ति पत्र जिला प्रशासन को सौंपा।
आपत्ति भी और अल्टीमेटम भी
ज्ञापन में शहीद तात्याटोपे के प्रपोत्र सुभाष टोपे ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि अमृत योजना से 70 लाख 62 हजार की राशि से तात्याटोपे बलिदान स्थली को विकसित किया जा रहा है, लेकिन दु:ख यह व्यक्त किया गया कि कार्ययोजना में शासकीय विचार के अलावा अन्य संस्था या वीर तात्याटोपे के परिजनों के सुझाव नहीं लिए गए। ज्ञापन में तात्याटोपे बलिदान स्थली विकास संबंध में एक मानचित्र भी सौंपा गया है।
यह भी कहा गया है कि महापुरूष का समाधि स्थल परिवर्तित करने से इसका ऐतिहासिक महत्व विदूषित होगा। केवल मार्ग के विकास के लिए राष्ट्रीय महत्व एवं धार्मिक आस्था के केंद्र का विनाश अनुचित है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि तात्याटोपे की स्मृतियों को जीवित बनाए रखने के लिए शासन प्रशासन के साथ-साथ सामान्य संस्थाओं की अपेक्षओं पर भी ध्यान रखा जाना चाहिए। ज्ञापन में साफ तौर पर चेतावनी भी दी गई है कि यदि आपत्ति पर विचार नहीं किया गया तो न्यायालय की शरण में भी जाया जाएगा।