कृषि उपज मंडी के बाहर चल रही अघोषित मंडी, तुल रही किसानों की उपज

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कोलारस। प्रदेश के मुखिया भले ही भाजपा सरकार को किसानों की सरकार कहते हो लेकिन कोलारस विकासखंड के अंर्तगत आने वाले किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। यहां किसानों के साथ हो रही ठगी को कोई सुनने बाला नहीं है। इसका मुख्य कारण है कि मंडी में सुविधाओं के नाम पर सिर्फ किसानों का शोषण किया जा रहा है। नगर में किसानों के लिए बनाई गई प्रमुख अनाज मंडी आज किसानों की न होते हुए व्यापारियों के चंगुल में फसती नजर आ रही है। क्षेत्र में रबी की फसल कटते ही भारी मात्रा में चना, जौ, राई, दाल, गेहूं, मटर की बंपर आवक मंडी में शुरू हो गई है। 

फसल आते ही मंडी के बाहरी व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान दौड़ने लगी। खुले में अनाज तोलने का यह काला कारोबार एक जगह न चलकर अनेक निजी दुकानों पर चल रहा है एक तरीके से देखा जाए तो कोलारस में बाहर समानांतर मंडी संचालित हो रही है। जिसका पूरा संचालन मंडी के दलालों एवं व्यापारियों के हाथ में पहुंच गया है। इस समानांतर मंडी के कारण किसानों को ठगी का शिकार होना पड़ रहा है। मंडी के कर्मचारियों द्वारा ही राजस्व का लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिघि भी राजस्व की इस चोरी को मूकदर्शक बने देख रहे है। हालात यह हो गए हैं कि मंडी प्रबंधक कि कमजोरियों से में क्षेत्र में एक तरीके से लूट का माहौल बना हुआ है। 

जहां व्यापारियों के मंडी कर्मचारियों से संबंध बन जाने के कारण खूली छूट दी जा चुकी है। ज्ञात हो कि मंडी के कुछ कर्मचारी कई सालों से यहां पदस्थ है जिसके चलते इन्हें भी प्रशासन का कोई भय नहीं रह गया है। एबी रोड हाईवे किनारे बने गोदामों में एवं दुकानों पर बिना किसी भय के सीधा किसान का माल तुलाया जा रहा है। यही नहीं मंडी में भी किसानों का माल नियम से हटकर खरीदा जा रहा है। मंडी में जो भी किसान अपना वाहन लेकर आता है नियमानुसार प्रवेश पर्ची पर उसका वाहन का नंबर किसान का नाम गांव का नाम एवं फसल का नाम आदि का व्यौरा पर्ची पर दिया जाना चाहिए किंतु ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। यहां संपूर्ण मंडी व्यापारिक ठेकेदारो के नियमानुसार संचालित है। इस सबके बाद भी ज्यादातर व्यापारी अपनी ब्लैक मनी छुपाने के लिये झूठे दस्तावेजों के सहारे मंडी में व्यापार कर रहा है। इसी के चलते ही राजस्व की चोरी भी की जाती है। 

दर्जनों दुकानों पर मंडी के बाहर खरीद रहे
संवाददाता ने विगत दिनों बाहर बिकने वाले माल का जायजा लिया तो पाया कि मंडी के बाहर खुलेआम माल को खरीदा जाने का क्रम जारी है। ऐसा एक जगह नहीं वरन सड़क किनारे की सभी दुकानों पर यह काला कारोबार किया जा रहा है। इसी क्रम में बाहर माल खरीदी का काम फूलराज होटल के आसपास, न्यू होटल फूलराज के सामने, इंडिया बैंक के पास, एसडीओपी आफिस के सामने तथा मानीपुरा में मंडी के सामने एवं आस पास के एरिया में खुले में किसान की फसल तौली जा रही है। इस प्रकार न्यू होटल फूलराज से लेकर लाल पुलिया तक किसानों का माल बाहर व्यापारियों द्वारा राजस्व की चोरी करते हुए खरीदा जा रहा है। इस माल की भी विधिवत जानकारी मंडी प्रबंधन को होती है किंतु शाम के समय सभी व्यापारियों से इस माल का हर्जाना वसूला जाता है

मजबूरी का फायदा उठाकर किसान से खरीद रहे माल  
एक तरफ मंडी में फसल बेचने का दौर शुरू हो गया है दूसरी और शादियों का सीजन लोगांे के लिए समस्या बनकर सामने खड़ा है। शादी सीजन में किसान परिवारों में बड़े पैमाने पर परिवार और रिश्तेदारों में शादियांे का दौर है। लेकिन फसलो के सर्मथन मूल्य पर बेचने की प्रक्रिया हाल में किसान के दायरे से बाहर है। सर्मथन मूूल्य पर किसानों को 50,000 तक नगद भुगतान और बाकी रकम चैक से दी जा रह है। ऐसे में चैक भुगतान के लिए किसान को कई दिन बैंकों के चक्कर काटने होंगे। नगद पैसे से किसान परिवारों के कई काम सुचारू रूप से सुलभ हो सकते है। ऐसे में कुछ फट्टा व्यापारी किसानों को अपने जाल में फसाकर फसल के कम दाम में नगद पैसे देकर किसान और सरकार दोनों से छल कर रहे है।

इनका कहना है
आपके द्वारा हमें जानकारी दी गई है। हम मामले को दिखवाते हैं, अगर मंडी के बाहर किसानों का माल तुल रहा है तो संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
मनोज शर्मा, मंडी सचिव
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