शिवपुरी। पेयजल से संघर्ष करता शिवपुरी शहर में आधा प्यास से तडप रहा है तो दूसरी ओर आधा शहर दूषित पानी पीने को मजबूर है। इस दूषित पानी पीने से आमजनो की स्वास्थय पर असर पड रहा है। शहर के चांदपाठा तालाब से सप्लाई होने वाला पानी पीने योग्य नही रहा है। इस पानी से लोगों को बीमारियां हो रही है। वहीं ट्यूबवैलों ने भी दम तोड़ दिया है और जो चालू है उसमें पानी के साथ बारीक स्टोन आ रहा है। यही कारण है कि जिला अस्पताल में पानी से हुए रोगियों की संख्या दिन व दिन बड़ रही है।
15000 हजार लोग पी रहे चांदपाठा का पानी
शहर के 15000 हजार लोग पीने के पानी के लिए चांदपाठा झील पर निर्भर है। यहां से फिजीकल, सईसपुरा, पुरानी शिवपुरी, पानी न तो पूरी तरह से फिल्टर होता न ही सप्लाई से पहले पानी की गुणवत्ता जांची जाती।
जिस कारण इस पानी को पीने से लोगों पेट ऐंठन और दर्द जैसी शिकायतें हो रही है। बाकी बची आबादी ट्यूबवैलों पर निर्भर है जो कम पानी होने की वजह से स्टोन मिलकर पानी में आ रहा है उस पानी को पीने से भी पेट संबंधी बीमारियां हो रही हैं।
झील का गिरा लेवल
शहर को चांदपाठा झील से सप्लाई होने वाले पानी का लेबल भी काफी नीचे चला गया है। अभी अप्रैल चल रही है सबसे ज्यादा पानी की जरूरत मई और जून में होती है। पीएचई की मानें तो मई तक और इस झील से जनता को पानी सप्लाई हो सकेगा इसके बाद जो पानी बचेगा वह माधव राष्ट्रीय उद्यान के जानवरों के लिए होगा। ऐसे में पेयजल संकट भी गहराने की समस्या भी सामने आ रही है।
ट्यूबबेलों के पानी में आ रहा स्टोन
जिले में अभी सिंध जलावर्धन योजना का पानी नहीं आ पाया है। शहर की जनता चांदपाठा झील के बाद पेयजल के लिए ट्यूवैलों पर निर्भर हैए लेकिन शहर के आधे से ज्यादा ट्यूबवैलों ने पानी देना बंद कर दिया है और जो ट्यूबवैल बचे भी है उनके पानी में स्टोन मिला हुआ आ रहा है जो पेयजल के लिए सही नहीं है।
शहर का जल स्तर 1000 फीट पर
शहर में दो साल पहले तक जल स्तर 500 से 700 के बीच हुआ करता था, लेकिन इन दो सालों में शहर का जल स्तर 300 से 400 फीट नीचे चला गया है। अब जो बोर किए जा रहे हैं उनमें 1000 फीट तक भी पानी नहीं मिल पा रहा है। अगर जल्द ही पानी के लिए कोई और व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले दिनों में पानी के लिए पेयजल संकट पेयजल सघंर्ष में बदल सकता है।
ये बोले डॉक्टर
दूषित पानी कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है, खासतौर पर अपच, एसीडीटीए पेट में मरोड के अलावा दूषित पानी पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और लगातार इसके सेवन से गंभीर बीमारियां भी हो सकती है। अस्पताल में भी पेट संबंधी बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
डॉ.डीके बंसल
Social Plugin