
अगर मेरे खिलाफ लोकायुक्त के पास सबूत थे तो तुरंत एफआईआर क्यों नहीं की। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग मेरे पीछे लगे हैं और हमें बदनाम करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। अब हम उन्हें भी कोर्ट में जवाब देंगे।
पढिए यह है पूरा मामला
जैसा कि विदित है कि वर्ष 2012 में विशेष सफाई अभियान के दौरान 6.25 लाख में खरीदी गई फोगिंग मशीन की मूल कीमत सिर्फ 2.25 लाख थी। इस मामले में लोकायुक्त ने भाजपा की पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना और इन सभी आरोपियो पर 2016 में ही केस दर्ज हो चुका है। अब इन सभी के विरुद्ध 16 अप्रैल को लोकायुक्त में चालान पेश किया जाएगा।
इस फोगिंग मशीन घोटाले की शिकायत एडवोकेट विजय तिवारी ने 28 मई 2014 को लोकायुक्त से की थी। तबसे लेकर अब तक इस मामले में लोकायुक्त जांच चल रही है। लोकायुक्त ने 26 अगस्त को तत्कालीन सीएमओ पीके द्विवेदी, अशोक शर्मा स्वास्थय अधिकारी नपा अब रिटायर्ड, भारत भूषण पांडे स्वच्छता निरिक्षक अब रिटायर्ड, सुखदेव शर्मा स्वच्छता निरिक्षक सहित इस मशीन को सप्लाई करने वाले ठेकेदार सत्यम पाठक के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत दोषी मानते हुए पहले ही केस दर्ज कर लिया था।