शांत शिवपुरी ने भोगी पड़ौसी होने की सजा

शिवपुरी। अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के विरोध में कल दलित समुदाय का भारत बंद आंदोलन के दौरान ग्वालियर, भिंड और मुरैना में उपजी हिंसा के बाद पूरे संभाग का इंटरनेट कनेक्शन कट कर दिया गया था। शिवपुरी ने शांति का परिचय दिया, बावजूद इसके शिवपुरी को पड़ौसी के गुनाह की सजा भोगनी पड़ी। सारा दिन निजी संस्थानों और कई शासकीय कार्यालयों में काम प्रभावित रहे। वहीं स्मार्टफोन से सूचना का आदान प्रदान करने वाले भी इंटरनेट न चलने के कारण परेशान रहे। इंटरनेट ना होने से लोगों के पास उचित जानकारियां नहीं पहुंच पाईं। 24 घंटे से ज्यादा वक्त था शिवपुरी, सारी दुनिया से कटा रहा। 

विदित हो कि शिवपुरी सहित जिले भर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी। उपद्रवियों ने कमलागंज क्षेत्र में उत्पात मचाया लेकिन पुलिस की लाठियों ने सबको अनुशासन में ला दिया। उत्पाती लोग पंक्तिबद्ध होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां उन्होंने अपना ज्ञापन सौंपकर आंदोलन समाप्त किया। इसके बावजूद अचानक शिवपुरी का इंटरनेट बंद कर दिया गया। जिसके बाद से लोगों तक घटनाओं की जानकारी नहीं पहुंच सकी। बाजार पूर्ण रूप से खुुल गए और जीवन सामान्य रहा। 

याद दिला दें कि यह शिवपुरी का इतिहास है। यहां कभी वर्ग संघर्ष नहीं होते। उपद्रवियों को आम नागरिक ही संभाल लेते हैं, यदि वो अनियंत्रित हों तो शिवपुरी पुलिस की लाठियां समय रहते सबकुछ नियंत्रित कर लेतीं हैं। उत्सव हत्याकांड के अलावा ऐसा कोई प्रसंग नहीं है जब भीड़ कानून और व्यवस्था की स्थिति को नुक्सान पहुंचा पाई हो। यही है शिवपुरी की स्प्रिट।