
सुंदरकांड के पाठ के दौरान एक बंदर हनुमान जी के मंदिर पर आ गया और वह सुंदरकांड का पाठ कर रहे लोगों के बीच पहुंच गया और बैठ कर सुंदरकांड का पाठ सुना।
इतना ही नहीं सुंदरकांड का पाठ खत्म होने के बाद आरती भी हनुमान जी के पास बैठककर करवाई। यह देख वहां मौजूद लोगों का तांता लग गया। इसके बाद बंदर रमेश निगोती की गोद में जा लेटा।