भगवान को याद करने के लिए माला फेरने की जरूरत नहीं: साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी

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शिवपुरी। श्रीराम कृपा धाम ट्रस्ट हरिद्वार द्वारा गांधी पार्क में आयोजित संगीतमय श्रीरामकथा के तीसरे दिन परमपूज्य साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी द्वारा श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान की भक्ति का पहला रूप श्रवण, दूसरी कीर्तन और तीसरा रूप है सुमिरन अर्थात् याद करना। अब प्रश्र उठता है भगवान को कैसे याद करें। कई बार हमें ऐसा लगता है जब-जब हम माला लेकर बैठते हैं तब-तब राम नाम-नाम जपते हैं, लेकिन कभी आपका निकट संबंधी भी दूर चला जाए। 

कभी माता-पिता, भाई बंधु, पत्नी, पुत्र कहीं दूर चला जाए और उसे याद करना है तो कितने लोग ऐसे हैं जो माला लेकर करके पुत्र को याद करते हैं कि हमें पुत्र की याद आ रही है। कभी यदि पति दूर चला जाए तो कितनी पत्नियां हैं जो पति के नाम की माला जपती हैं, कोई ऐसा नहीं करता। अब यहां सोचना यह है कि यदि हमें अपने सगे संबंधियों को याद करने के लिए माला की जरूरत नहीं होती तो फिर भगवान को याद करने के लिए माला की क्या आवश्यकता है। 

जबकि भगवान से हमारा प्रेम इतना प्रगाढ़ होता कि व खुद व खुद याद आते हैं। भगवान की भक्ति का तीसरा रूप सुमिरन है यानि की याद करना। हमें रामजी का स्मरण करते रहना चाहिए। जब-जब जीवन में कुछ अच्छा हो तब हमें भगवान को याद करना चाहिए और सोचना चाहिए कि यह भगवान की कृपा से ही मुझे मिल रहा है, वहीं यदि जीवन में दुख आएं तो भी भगवान को याद कर यह प्रार्थना करनी चाहिए कि ये भगवान इन दुखों के क्षणों को सहन करने की मुझे शक्ति दो और इन्हें किसी छोटे रास्ते से निकाल दो। 

साध्वी ने कहा कि कभी-कभी होता यह है कि जब हमें दुख मिलता तो हम भगवान को ही खरीखोटी सुना देते हैं। डॉ. साध्वी विश्वेश्वरी ने बताया कि हमें खुशी में भी ज्यादा उछल कूद नहीं होना चाहिए क्योंकि ज्यादा खुशी में भी लोग पागल हो जाते हैं, इसलिए खुशी और दुख के समय हमें मानसिक संतुलन बनाकर रखना चाहिए। गांधी पार्क में संगीतमय श्रीराम कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा का सुनने पहुंच रहे हैं।

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