गजरथ यात्रा को देखने उमड़ी भीड़, पंचकल्याणक महोत्सव का समापन

शिवपुरी। अतिशय क्षेत्र श्री सेसई जी (नौगजा) पर पिछले 8 दिनों से चल रहे पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव का 29 नवंबर बुधवार को विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ यात्रा के साथ समापन हो गया गजरथ में 3 गजरथों ने पांडाल के सात चक्कर लगाए। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं के साथ हजारों की संख्या में अन्य समाज के लोग भी उपस्थित रहे। ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग गजरथ देखने के लिए सेसई पहुंचे। इस दौरान प्रदेश की खेल एवं धर्मस्व मंत्री माननीय यशोधरा राजे सिंधिया, पोहरी विधायक प्रहलाद भारती एवं अन्य लोकप्रिय जन प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

दोपहर 1:30 बजे विशाल गजरथ यात्रा का शुभारंभ किया गया। गजरथ यात्रा में सबसे आगेे ऐरावत हाथी पर प्रमुख पात्र विश्व शांति का प्रतीक ध्वज लिए थे चल रहे थे। उनके आगे दिव्य घोष चल रहे थे। तीनों गजरथों में श्री जी की प्रतिमा को लेकर प्रमुख इंद्र सौधर्म, महा यज्ञनायक, राजा श्रेयांश, भरत चक्रवर्ती बाहुबली, यज्ञ नायक, ईशान आदि प्रमुख पात्र चल रहे थे।

रथों के आगे पूज्य मुनि श्री अजीतसागर जी महाराज, ऐलक श्री दयासागर महाराज, ऐलक श्री विवेकानंदसागर जी महाराज व श्रद्धालु चल रहे थे। रथों के पीछे अष्ट कुमारियाँ, नाचती-गाती हुई चल रही थी। साथ ही महिला रेजीमेंट व समाज के दिव्यघोंषों के साथ श्रद्धालु नाचते-गाते चल रहे थे। सात परिक्रमा पूर्ण करने के बाद श्री जी को पंडाल में लाया गया जहां प्रभु का अभिषेक व शांति धारा की गई। 

इस महोत्सव में शिवपुरी के अलावा कोलारस, बदरवास, लुकवासा, अशोकनगर, गुना, आरोन, ईसागढ़, बामोर कलाँ, खनियाधाना, ललितपुर, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर सहित देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सभी कार्यकर्ताओं, पुलिस प्रशासन और सहयोगी संस्थाओं के सम्मान का कार्यक्रम भी यहाँ आयोजित किया गया। आभार प्रर्दशन पंचकल्याणक के अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू द्वारा किया गया।

मनाया मोक्ष कल्याण महोत्सव
इससे पहले सुबह आदिनाथ प्रभु का मोक्ष कल्याणक मनाया गया। जैसे ही मुनिराज को कैलाश पर्वत से निर्वाण प्राप्त हुआ, सम्पुर्ण शरीर कपूर की भांति उड़ गया मात्र नख और केश ही बचे रहे। जिनका देवों ने अंतिम संस्कार किया। यह क्रिया पंचकल्याणक के महायज्ञ नायक नरेशकुमार-अर्चितकुमार, जैन परिवार ने सम्पन्न की।

इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री अजितसागर महाराज ने कहा कि आज समापन का दिन है, इस विशाल कार्यक्रम के सानंद संपन्न होने पर स्वत: ही यह एहसास होने लगता है, कि निस्वार्थ मन से कार्य किए जाने पर प्रभु भी आशीर्वाद देते हैं। फिर ऐसे कार्यों में अव्यवस्था, असुविधाएं तथा परेशानी चेहरे से गायब हो जाती है, और आत्म संतुष्टि तथा समर्पण का भाव आ जाता है। 

ऐसा ही कुछ कार्यक्रम के दौरान देखा गया, कि सभी अपना कार्य जिम्मेदारी तथा समर्पण के साथ कर रहे थे। इसी प्रकार का सर्मपण जब धर्म क्षेत्र में आता चला जाता है तो जीवन मे शांति आती चली जाती है। यह मंदिर, धर्म-संस्कृति के प्रतीक होते हैं। यह संस्कृति सिर्फ भारत मे ही देखने को ही मिलती है। 

अत: अपने परिणामो को थोड़ा सा सुधार कर मौज मस्ती की क्रियाये जो तुम अन्य स्थानों पर करते हो, उनकी तरफ से मुख मोडक़र यदि इन क्षेत्रों पर आकर अपने मन को थोड़ा सा धोने का कार्य करो, तो संस्कार आपके जीवन में आते चले जायेेंगे। 

इस दौरान प्रदेश की खेल, धर्मस्व एवं संकृति मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि राजमाता की जो पहचान इस क्षेत्र में थी वही पहचान मैं कायम कर सकूं, इस भावना से मैंने धर्मस्व विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी से लिया। 

हमारे धार्मिक धरोहरों का जीर्णोद्वार करके और मंदिरों की रक्षा करके ही, हम अपनी रक्षा करने में सक्षम हो सकते हैं। आजकल पर्यावरण और जीवन मे प्रदूषण आ रहा है, ऐसे में इन मुनियों से मेरा निवेदन है कि वह हमारे जीवन से प्रदूषण निकालें, जिससे हम अपने जीवन का उत्थान कर सकें।