जिसका खुद का टिकट खतरे में वो कोलारस में रायशुमारी करेंगे

भोपाल। भाजपा ने कोलारस उपचुनाव में हथियार डाल दिए लगते हैं। सीएम शिवराज सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि इस चुनाव में कम ही सभाएं करेंगे और जिसे उन्होंने कोलारस विधानसभा उपचुनाव का प्रभारी बनाकर भेजा है उसका अपना टिकट भी खतरे में है। जी हां, यहां बात भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा की हो रही है। सुना है शर्माजी इन दिनों भाजपा में भारी गुटबाजी का शिकार हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कोलारस चुनाव का सारा जिम्मा चार नेताओं को सौंप दिया है। पहला चुनाव प्रभारी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा, दूसरे शिवपुरी के प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता चौथे सहकारिता विश्वास सारंग। इनमें से प्रभारीमंत्री रुस्तम सिंह के बारे में कुछ कहने की जरूरत ही नहीं। अब शेषे तीन। 

जिनके हाथ में सारी ताकत सौंपी गई है वो हैं प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा। शर्माजी भोपाल में 'हुजूर' नाम की विधानसभा से विधायक भी हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद सीएम शिवराज सिंह ने इन्हे लालबत्ती नहीं दी। जबकि भोपाल के ज्यादातर भाजपा विधायकों को सरकारी ता​कत हासिल है। सुना है शर्माजी की विधानसभा में शर्माजी का काफी विरोध हो रहा है। जनता का मूड क्या है यह तो 2018 में ही पता चलेगा परंतु शर्माजी का खेल तो उनके अपने भाजपाईयों ने बिगाड़ रखा है। हर चौराहे पर शर्माजी को नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है। उनकी विधानसभा में भव्य आयोजन होते हैं और उन्हे ही बुलाया नहीं जाता। एक महिला पार्षद का पति इनकी खुली खिलाफत कर रहा है और शर्माजी उसे भाजपा से सस्पेंड तक नहीं करवा पाए। 

जहां तक राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की बात है तो वो हर चुनाव में वैश्य मतदाताओं को लुभाने के काम आते हैं। कोलारस चुनाव में भी गुप्ताजी की यही भूमिका रहने की उम्मीद है। अब बचे विश्वास सारंग। ये हैं तो सहकारिता मंत्री परंतु अपनी विधानसभा से काफी परेशान हैं। सुना है नई विधानसभा की तलाश कर रहे हैं। कांग्रेसी आरोप लगाते हैं कि इलाके में बिना हेलमेट ट्रेफिक रूल तोड़ने वाले जितने भी युवा हैं, सब सारंग साहब को बंगले पर ही जाकर रुकते हैं। वो तो और भी कई आरोप लगाते हैं। कुल मिलाकर विश्वास भाई जब तक कोलारस के भाजपाईयों मेें अपना विश्वास जमा पाएंगे तब तक तो वोटिंग पूरी हो चुकी होगी।