शिवपुरी में सिंचाई के पानी पर प्रतिबंध, सभी जलस्त्रोत पेयजल के लिए आरक्षित

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भोपाल। सूखे के संकट को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन ने जिले के सभी जलस्त्रोतों का पानी पेयजल के लिए आ​रक्षित कर दिया है। नदी, तालाब, कुएं या किसी भी प्रकार के जलस्त्रोत से सिंचाई के लिए पानी नहीं निकाला जा सकता। ऐसा किया तो दण्डात्मक कार्रवाई होगी। जल संसाधन विभाग ने कलेक्टर शिवपुरी को पत्र भेजा है। जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि वो पेयजल प्रबंधन के लिए प्लान तैयार करें। यदि पेयजल की पूर्ति कर सकते हैं तब ही सिंचाई के लिए किसानों को पानी उपलब्ध कराया जाए। 

पहले पेयजल उपलब्ध कराएं, बचे तो सिंचाई के लिए दें 
जल संसाधन विभाग के जल स्त्रोतों में पहले पीने का पानी आरक्षित करें, इसके बाद ही सिंचाई के लिए पानी दें। यह भी कहा गया है कि प्रदेश के सभी स्टाप डेम और बेराज बंद कर दिए जाएं ताकि पानी संग्रहित हो और इस पानी से किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सके। अवर्षा की स्थिति बनने से सबसे ज्यादा संकट ग्वालियर और चंबल संभागों में हैं। 

पानी परिवहन के लिए बजट मिलेगा
राज्य सरकार ने ग्वालियर में पेयजल की व्यवस्था करने 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस राशि से पानी परिवहन किया जाएगा। गुना, शिवपुरी, श्योपुर, भिंड और मुरैना सहित बुंदेलखंड इलाके में सूखे की आहट है। अशोकनगर शहर की प्यास बुझाने वाला अमाही जलाशय में मात्र 10 फीट पानी है। इस जलाशय से नागरिकों को 5 माह का पानी मिल पाएगा। कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है कि पेयजल संकट शुरू होने से पहले ही पानी के परिवहन के इंतजाम कर लें। इसके लिए अतिरिक्त बजट भी दिया जाएगा। 

भविष्य को देखते हुए तैयार रहने कहा है
राज्य में अवर्षा की स्थिति है। पीने के पानी की समस्या आ सकती है। इसलिये कलेक्टर और कमिश्नर से कहा है कि वे जल उपभोक्ता संथाओं के साथ बैठक करके प्लान बनाएं। होशंगाबाद और रीवा जिले में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट के मामले में कमिश्नर की अध्यक्षता में प्लान बनेगा।
पंकज अग्रवाल, प्रमुख सचिव, जल संसाधन

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