
अपने आवेदन में एसडीएम उपाध्याय ने नामजद रूप से शिवपुरी भड़ाका ग्रुप के एडमिन अर्पित शर्मा और ग्रुप के सदस्य राजेंद्र पिपलौदा का जिक्र किया है। आवेदन में उन्होंने कथित पत्रकारों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 11 अगस्त से विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप पर उनके विरूद्ध दुष्प्रचार जारी हैं जिसमें वे एक दो दिन में अशलील वीडियो और फोटो डालने के धमकी भरे संदेश प्रसारित कर रहे थे।
वहीं इस मामले में पत्रकार मोनिष कोड़े ने भी कल रात पुलिस में आवेदन देकर एसडीएम के कथित फोटो वायरल करने वाले शिक्षक और ग्रुप एडमिन के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की गई थी। हांलाकि इस आवेदन पर पुलिस ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।
पुलिस को आरआई जैन के हस्ते सौंपे आवेदन में एसडीएम उपाध्याय ने बताया कि विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप पर मेरे विरूद्ध 11 अगस्त से दुष्प्रचार जारी है तथा मेरे विरूद्ध असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर यह लिखा जा रहा है कि एक दो दिन में अश£ील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए जाएंगे। कल 16 अगस्त को दोपहर उन्हें जानकारी मिली कि व्हाट्सएप ग्रुप शिवपुरी भड़ाका पर उनका कथित अशलील फोटो शिक्षक राजेंद्र पिपलौदा ने वायरल किया है। जिससे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है तथा छवि खराब हुई है एवं निजता भंग हुई है साथ ही समाज में अशलीलता फैल रही है। इस मामले में कार्यवाही करते हुए कोतवाली पुलिस ने आरोपी राजेंद्र पिपलौदा के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया।
फोटो वायरल होने के बाद ग्रुप कर दिया गया भंग
कल जैसे ही व्हाट्सएप ग्रुप भड़ाका पर एसडीएम उपाध्याय का कथित अशलील फोटो वायरल हुआ वैसे ही हडक़ंप मच गया। ग्रुप एडमिन अर्पित शर्मा ने श्री पिपलौदा से जबाव-तलब किया। उन्होंने अपनी सफाई में मेरे द्वारा यह फोटो नहीं डाला गया है। किसी ने मेरे मोबाइल का दुरूपयोग कर और मुझे बदनाम करने की साजिश से यह काम किया है।
इसके लिए मैं कोटि-कोटि क्षमा प्रार्थी हूँ और भविष्य में दोबारा ऐसी कभी गलती नहीं करूंगा तथा अपने मोबाइल को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दूंगा, लेकिन ग्रुप एडमिन उनकी सफाई से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने पिपलौदा से कहा कि मुझे आपको ग्रुप उसे हटाना पड़ेगा। बाद में पिपलौदा ने कान पकडक़र गलती मानी। इस पर उनसे पूछा गया कि जिसने फोटो डाले हैं उसका नाम बताओ। इसके बाद श्री पिपलौदा को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और कुछ समय बाद ही ग्रुप एडमिन ने ग्रुप भंग कर दिया।
आरोप सिद्ध हुआ तो होगी तीन साल की सजा और 5 लाख जुर्माना
सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत प्रथम अपराध पर दोष सिद्ध होने पर आरोपी को तीन साल कैद की सजा और 5 लाख रूपए जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
इनका कहना है
इस मामले मेेंं और आरोपी बनेंगे या नहीं बनेंगे यह जांच का विषय है। जो भी जांच अधिकारी नियुक्त किया जाएगा वह यह सब देखेगा। अभी इस विषय में और ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
जीडी शर्मा, एसडीओपी शिवपुरी