
पोषद भवन में आज अपने सारगर्भित उदबोधन मे श्रावक सुरेंद्र सिंह दांगी ने बताया कि पर्यूषण पर्व सांसारिक पर्व नहीं है। यह आत्मा के उत्थान का लोकोत्तर पर्व है। इस पर्व में पूरे 8 दिन श्रावक-श्राविकाएं धर्म आराधना कर अपने पापों की निर्जरा करते हैं ताकि जीवन के चरम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त किया जा सके। गुलाबपुरा से आए श्रावक सुरेंद्र सिंह दांगी ने प्रवचन देते हुए ध्यान की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला और पोषद भवन में आए समस्त महानुभावों से 5 मिनट ध्यान कराया।
उन्होंने कहा कि जिसके जीवन में ध्यान घटित हो जाता है वह कभी गलत काम नहीं कर सकता। सम्यक दर्शन की प्राप्ति ध्यानस्थ अवस्था में ही संभव है। उन्होंने अंहिसा को जैन धर्म की आत्मा बताते हुए कहा कि बिना अंहिसा के कोई भी धर्म नहीं है। उनके पूर्व गुजरात से आए श्रावक विनोद सूर्या ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया और कहा कि अंतगढ़ सूत्र को सुनने से कर्मों की निर्जरा होती है और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। पर्व के पहले दिन बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी पोषद भवन में मौजूद थे।
सुबह 8:45 से प्रवचन और शाम को 6:45 से होगा प्रतिक्रमण
स्थानकवासी जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा और महामंत्री हर्ष कोचेटा ने समस्त सजातीय बंधुओं से पर्यूषण पर्व का लाभ अधिक से अधिक उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पोषद भवन में प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8:45 से 10 बजे तक होंगे तथा अधिक से अधिक संख्या में प्रवचन में श्रावक और श्राविका सामायिक अवश्य करें। वहीं शाम को 6:45 से 8 बजे तक प्रतिदिन प्रतिक्रमण होगा। दोपहर में बाहर से आए श्रावकों के सानिध्य में धार्मिक प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा।