
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम यह पत्र नगर पालिका पहुंचते ही विभाग में हलचल मच गई। हालांकि इस पत्र के संबंध में सिंचाई विभाग एवं नगर पालिका से कोई अधिकृत जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार मड़ीखेड़ा डेम के कार्यपालन यंत्री की ओर से लिखे गए पत्र में नगर पालिका से कहा गया है कि वे मड़ीखेड़ा डेम से पानी लेने से पूर्व मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग भोपाल से विधिवत अनुमति प्रदान करें उसके बाद ही टेस्टिंग अथवा अन्य कार्य के लिए सिंध के पानी का उपयोग करें।
सूत्रों के मुताबिक पत्र में इस प्रकार की अनुमति तक पानी का उपयोग न करने को भी कहा गया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस पत्र में नगर पालिका से कहा गया है कि वे समूचा गणना पत्रक बनाकर सिंचाई विभाग को प्रस्तुत करें कि वह कितना पानी लेना चाहते हैं और इसकी दर का भी निर्धारण किया जाना है।
फर्जी उद्घाटन करने वाले मुन्ना की लापरवाही प्रमाणित
सिंचाई विभाग द्वारा लिखे गए पत्र से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि शिवपुरीवासियों को सिंध का पानी देने की इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर नगर पालिका प्रशासन और जनता को सिंध का वादा करके वोट कमाने वाले मुन्नालाल कितने लापरवाह हैं। जगमोहन सिंह सेंगर की एक गलती के कारण सिंध 3 साल लेट हुई। अब मुन्नालाल की लापरवाही का खामियाजा पता नहीं कब तक भुगतना होगा। सिंचाई विभाग द्वारा लिखे गए पत्र में जिन बिंदुओं को उठाया गया है उन्हें नगर पालिका प्रबंधन द्वारा पूर्व में ही निराकरण कर दिया जाना चाहिए था। मध्यप्रदेश के जितने भी शहरों में नदियों से पानी लिफ्ट कराया गया है, वहां प्रक्रियाएं पूर्व में ही पूर्ण की गईं हैं। जब शिवपुरी पानी आने की संपूर्ण तैयारी हो गई तब यह बात सामने क्यों आई।
नगर पालिका को अपनी जिम्मेदारी का परिचय देते हुए सिंचाई विभाग के साथ इस संपूर्ण प्रकरण को लेकर समय रहते इस मामले का निराकरण करना चाहिए था जो उनके द्वारा नहीं किया गया। नगर पालिका प्रबंधन भले ही इस योजना में अपनी जिम्मेदारी को लेकर कितने भी दावे करे, लेकिन अब तक सिंध योजना में दोशियान के साथ-साथ नगर पालिका भी लेट-लतीफी की एक बड़ी जिम्मेदार है।