आंगनवाड़ी केन्द्र में झोलाछाप का शिविर, कमीशन कलेक्टर तक ?

0
शिवपुरी। शहर के वार्ड 16 की आंगनबाड़ी केंद्र में एक झोलाझाप डॉक्टर द्वारा रोग परीक्षण शिविर लगा पैसे लेकर दवाईयां देने का मामला सामने आया है। बिना परमिशन आंगनबाड़ी केंद्र में शनिवार को झोलाझाप डॉक्टर ने अपने चार सहयोगियों के साथ यहां दुकान सजाई और कई गरीब परिवारों की जेब स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर काट दी। 

इस झोलाझाप के द्वारा फर्जी शिविर लगाए जाने की सूचना जब मीडियाकर्मियों को मिली तो वे मौके पर जा पहुंचे, यहां जब मीडिया के कैमरे चले तो यह झोलाछाप अपनी दुकान का सामान और फर्जी चेक करने की मशीनें लेकर भागता नजर आया। जिन गरीब परिवारों से इस झोलाछाप डॉक्टर ने पैसे लिए उनका कहना है कि इस डॉक्टर ने उन्हें किसी फर्जी कंपनी की दवाईयां 800 से 1000 रुपए लेकर दीं। 

मामले की पोल खुलते ही इस आंगनबाड़ी केंद्र पर पदस्थ कार्यकर्ता ने कहा कि इस शिविर के लिए विभाग की सुपरवाईजर मधु यादव ने परमिशन दी थी। इसके बाद ही इस डॉक्टर ने यह शिविर लगाया। जिस झोलाछाप डॉक्टर ने यहां पर स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर रुपए ऐंठे उसका नाम राजपाल बताया जा रहा है। 

आयुर्वेद कंपनी की दवाएं दे ऐंठे रुपए
इस झोलाझाप डॉक्टर ने एक चेकअप मशीन लगाकर इस केद्र पर दो दर्जन से ज्यादा गरीब परिवारों का चेकअप किया और पैसे ऐंठे। इस झोलाझाप ने कई गरीब परिवारों से 800 से 1000 रुपए इंटरनेशनल मार्केटिंग कार्पोरेशन नाम फर्म की आयुर्वेद दवाएं बांटकर एकत्रित किए। गौशाला में रहने वाली महिला विद्यादेवी तोमर और नत्थू आदिवासी ने बताया कि उनसे 800 से 1000 रुपए लेकर कई तरह की दवाएं दी गईं। 

सवाल-जवाब शुरू होते ही भागता नजर आया डॉक्टर
शिकायत मिलने के बाद जब कुछ मीडियाकर्मी इस केंद्र पर पहुंचे और कार्यकर्ता सहित झोलाझाप डॉक्टर से सवाल जवाब हुए तो यह डॉक्टर केंद्र से अपना सामान समेट भागता नजर आया। इससे पहले केंद्र पर इस झोलाझाप ने अपनी आयुर्वेद कंपनी का बैनर और शिविर में दवाईयों बांटने के लिए बाकायदा एक काउंटर भी लगाया था। जिससे दवाएं बांटने का काम चला। 

विवाद बढ़ा तो वापस किए पैसे
इस शिविर में मीडिया के पहुंचने के बाद स्थानीय कई जागरूक नागरिकों ने भी झोलाझाप डॉक्टर को निशाने पर लिया। विवाद बढऩे के बाद दवा के नाम पर लिए गए पैसे इस झोलाझाप डॉक्टर ने कुछ लोगों को लौटाए। इससे पहले एक दर्जन से ज्यादा लोगों से यह डॉक्टर इंटरनेशनल मार्केटिंग कार्पोरेशन नामक फर्म की दवाएं देकर ऐंठ चुका था। 

डीपीओ पांडे जवाब देने से बचते नजर आए
वार्ड 16 के आंगनबाड़ी केंद्र पर किसकी परमिशन से झोलाझाप डॉक्टर ने यह शिविर लगाया। जब महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी ओपी पांडे से यह पूछा गया तो डीपीओ पांडे जवाब देने से बचते नजर आए। जवाब देने की बजाय अपना फोन ओपी पांडे ने शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ संजीव खेमरिया को थमा दिया। बाद में संजीव खेमरिया ने बताया कि उन्होंने तो नि:शुल्क शिविर लगाने की बात कही थी। फिर भी वह पूरे मामले की जांच करा रहे हैं। सवाल यह है कि वो होते कौन हैं शिविर की अनुमति देने वाले। झोलाछाप को शिविर की अनुमति तो भारत का राष्ट्रपति भी नहीं दे सकता। 

क्या कलेक्टर तक जाता है कमीशन
दरअसल, ये सारा खेल दवा कंपनियों का है। वो जिलों में आकर प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करतीं हैं और मोटे कमीशन का लालच देकर इस तरह के शिविर आयोजित करतीं हैं। पूरे मध्यप्रदेश, यहां तक की देश के कई राज्यों में इस तरह के फर्जी शिविरों के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही मप्र के एक जिले में कलेक्टर से मौखिक अनुमति लेकर इस तरह का शिविर लगाया गया। मीडिया की सूचना पर सीएमएचओ ने छापामार कार्रवाई कर दी और सारी पोल खुल गई। सवाल यह है कि क्या यह शिविर भी ऐसा ही है। क्या मरीजों को लूटने के लिए फर्जी शिविर लगाने वाली दवा कंपनियों का कमीशन यहां भी कलेक्टर तक जाता है। यदि परियोजना अधिकारी ओपी पांडे के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तो यह संदेह मजबूत हो जाएगा।
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!