नपा का टेंकर घोटाला: जांच के आदेश या लीपापोती का लाइसेंस

शिवपुरी। शिवपुरी नगर पालिका में हर वर्ष पानी के टेंकरो का घोटाला होता है। इस वर्ष भी हुआ है। इन पानी के टेंकरो के घोटाले की जांच के लिए शिवपुरी विधायक और प्रदेश मंत्री यशोधरा राजे ने शिवपुरी नपा के सीएमओ को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे। इसी आदेश के क्रम में नपा में इस घोटाले के जांच के पार्षदों की ही एक कमेेटी बना दी। अब आप ही बताईऐ कि ऐसे में कैसे यह जांच कैसे निष्पक्ष होगी, सवाले खड़े हो रहे है। 

नगरपालिका में पेयजल परिवहन में लगे टैंकरों का घोटाला 50 लाख रूपए से भी ऊपर का है। नगर के 39 वार्डों में लगभग 125 टैंकर नगरपालिका द्वारा अनुबंधित किए गए हैं जिन्हें प्रतिदिन 6 चक्करों  का भुगतान किया जाता है तथा प्रति चक्कर नगरपालिका टैंकर संचालक को 250 रूपए से लेकर 270 रूपए तक का भुगतान करती है अर्थात प्रतिमाह एक  टैंकर को 42 से 45 हजार रूपए का भुगतान किया जाता है। छोटे टैंकरों  में ही प्रतिमाह नगरपालिका 50 लाख रूपए से अधिक का भुगतान करती है। 

नगर के 39 वार्डों  में से अधिकांश वार्डों में 3 हजार लीटर की क्षमता वाले 3-3 टैंकर लगे हुए हैं जबकि नपा प्रशासन के चहेते पार्षदों के वार्ड में 3 के स्थान पर 4 टैंकर अनुबंधित हैं। इन टैंकरों के संचालन के बहाने नपा प्रशासन ने अधिकांश पार्षदों को अनुगृहित किया है। पार्षदों के खुद के भी टैंकर लगे हैं और जिनके टैंकर नहीं है उनकी टैंकर संचालकों से मिलीभगत है। 

सूत्र बताते हैं कि छोटे टैंकरों में ही प्र्रतिमाह 20 से 25 लाख रूपए का घोटाला है। लेकिन इससे भी बड़ा घोटाला 12 हजार और 24 हजार लीटर की क्षमता के टैंकरों के  जरिए पेयजल परिवहन का है। नगरपालिका ने 12 हजार लीटर के 8 टैंकर अनुबंधित किए हैं और प्रत्येक टैंकर को एक दिन में 6 चक्कर का भुगतान किया जाता है। एक चक्कर की दर 676 रूपए है। 

एक पार्षद ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इनमें से 2 टैंकर महज कागजों में है और दो से ढाई लाख रूपए प्रतिमाह सीधे जेब के हवाले किए जा रहे हैं। शेष 6 टैंकरों में से हद से हद तीन से चार चक्कर ही लगाए जाते हैं और शेष राशि की बंदरवाट कर ली जाती है। नगरपालिका ने 24 हजार लीटर के 6 टैंकर अनुबंधित किए हैं। इन्हें प्रतिदिन 5 से 6 चक्कर का भुगतान किया जाता है। 24 हजार लीटर के टैंकर की दर 1 हजार 86 रूपए प्रति चक्कर है। 24 हजार लीटर क्षमता के टैंकर नगरपालिका की सेवा में फरवरी माह से ही लगे हुए हैं। इनके जरिए पेयजल सप्लाई में भी भारी भ्रष्टाचार किए जाने की सुगबुगाहट है। 

यशोधरा राजे ने अपने स्तर पर कराई थी जांच
पेयजल परिवहन में लगे टैंकर घोटालों की जांच कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे ङ्क्षसंधिया ने अपने स्तर पर कराई थी।  उन्होंने नगरपालिका में विधायक प्रतिनिधि रत्नेश जैन डिम्पल और एक वरिष्ठ पार्षद को इस काम पर लगाया था। विधायक प्रतिनिधि और वरिष्ठ पार्षद ने हाईडेंटों पर जाकर असलियत जानी तो  वह लाखों रूपए के भ्रष्टाचार को देखकर हक्का बक्का हो गए। दोनों ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के कतिपय पार्षद इस घोटाले में शामिल हैं और उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही भुगतान  किया जाता है। 

जांच होने के उपरांत ही हो टैंकरों का भुगतान
कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी रणवीर कुमार को पत्र लिखकर उन्हें आदेशित किया था कि वह टैंकर घोटाले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाएं और इस कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद ही टैंकर वालेां को भुगतान किया जाए। यशोधरा राजे ने माना था कि नगरपालिका की सेवा में लगे पेयजल परिवहन के टैंकरों में मिलीभगत से भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। उन्होंने सीएमओ को लिखे पत्र में कहा कि मैंने विधायक प्रतिनिधि और वरिष्ठ पार्षद को हाईडेंटों जहां पर पानी की आपूर्ति की जाती है, भेजा गया था। 

सीएमओ के स्थान पर नपाध्यक्ष ने बनाई जांच कमेटी
टैंकर घोटाले की जांच वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से कराई जानी  चाहिए थी। जांच कमेटी में ऐसे शासकीय अधिकारी या कर्मचारी होने चाहिए जिनका पेयजल परिवहन से कोई संबंध न हो लेकिन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह ने पार्षदों की समिति ही गठित कर दी। समिति में पार्षद इस्माइल खान, पवन शर्मा, अरूण पण्डित, पंकज महाराज और बलबीर यादव को शामिल किया गया है। खास बात यह है कि पार्षद ही टैंकरों की लॉक बुक भरते हैं अर्थात जिनकी जांच हो रही है उन्हें ही निर्णायक बना दिया गया।