
अनिल कुमार अग्रवाल का कहना था कि यूं तो वह हर वर्ष रक्तदान करते हैं किन्तु इस बार उन्होंने यह संकल्पित किया था बेटे के जन्मदिवस पर रक्तदान कर उसे यही तोहफा भेंट करेंगे। कम से कम दो लोगों की जिंदगियां बचाने जैसे सेवाभावी कार्य कर यही उनके लिए अपने बेटे को तोहफा होगा। उन्होंने कहा कि रक्तदान से बढक़र कोई दूसरा दान नहीं है। रक्तदान जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे व्यक्ति को जीवनदान देता है।
हमें ऐसे व्यक्तियों की जीवन रक्षा हेतु रक्तदान अवश्य करना चाहिये। यही हमारी सच्ची मानवता होगी। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान ऐसे व्यक्ति को जीवन दान देता है जो नि:सहाय, बेसहारा हैं अथवा दुर्घटना एवं आपातकाल के समय रक्त के लिए जरूरतमंद हैं। हमें रक्तदान कर बन्धु बान्धवों को जीवनदान देना चाहिये। और हमें अपने परिवार में जन्मदिवस अथवा वैवाहिक वर्षगांठ को ही रक्तदान का दिवस मानकर रक्तदान करना चाहिये।
इस बार जन्मदिवस पर मिला सबसे बड़ा तोहफा
आज के इस दौर में भी अपने परिवार में संस्कारित एवं सेवाभावी बैल्लूर इंस्टीट्यूट से बीटेक कर बैंगलोर में सर्विस कर रहे जतिन अग्रवाल का कहना था कि यूं तो उन्होंने जीवन के 22 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं, किन्तु उनकी याद अनुसार उन्हें आज जो परिवार से तोहफा मिला है वह अब तक का सबसे बड़ा तोहफा है। यह उन्हें जीवनभर याद रहेगा। मेरे लिए किए गए रक्तदान से यदि किन्हीं व्यक्तियों की जान बचती है तो इससे बड़ी बात मेरे सुकून के लिए और क्या होगी। यह तोहफा पाकर मैं बहुत प्रफुल्लित हूं।
बेटे के जन्मदिन पर रक्तदान कर प्रफुल्लित हूं
पटेल नगर निवासी पिंकी अग्रवाल का कहना था कि जैसे ही उनके पति ने उन्हें यह बताया कि उनके बेटे जतिन के जन्मदिवस पर दोनो रक्तदान करेंगे तो उन्हें यह सुनकर अत्यंत खुशी हुई। वैसे तो महिलाओं का रक्तदान कर पाना थोड़ा असंभव होता है किन्तु महिलाओं द्वारा भी वर्ष में एक बार तो रक्तदान किया ही जा सकता है। वे आज अपने बेटे के जन्मदिवस पर रक्तदान कर बहुत प्रफुल्लित हैं।