
जब इस संबंध में रेलवे के सब इंजीनियर डीके मिश्रा से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण दुकानदार व अन्य लोगों द्वारा आए दिन करते दिखाई दे रहे हैं जिस कारण जमीन को सुरक्षित करने के लिए उक्त बाउण्ड्री वॉल का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
रही बात नगरपालिका से पेड़ काटने की स्वीकृति की तो हमारी गाइडलाइन में नगरपालिका से स्वीकृति लेने का नियम भी नहीं है। वहीं नगरपालिका प्रभारी राजस्व अधिकारी पूरन कुशवाह का कहना है कि चाहे कोई भी विभाग अपनी जमीन पर निर्माण कार्य करे लेकिन पेड़ काटने के लिए नगरपालिका से स्वीकृति लेना आवश्यक है। अगर बिना स्वीकृति के पेड़ काटे जाएंगे इनके विरूद्ध नियम से कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
एक पेड़ के बदले लगाने होंगे पांच पेड़
अधिकतर विभाग और जमीन कारोबारी जब कभी अपनी संपत्ति को सुरक्षित करने के लिए तमाम तरह के कार्य कराते हैं तो उनको पेड़ काटने के लिए संबंधित नगरपालिका या अन्य क्षेत्र के अधिकारियों से अनुमति लेना होती है। पेड़ काटने के लिए एक पेड़ के एवज में पांच पेड़ लगाना होते हैं साथ ही नगरपालिका क्षेत्र में तो स्वीकृति के लिए एक पेड़ के एवज में पांच पेड़ लगाने के साथ 500 रूपए की राशि प्रति पेड़ के हिसाब से भी जमा करना होती है। इन सब कारणों के चलते भी अधिकतर विभाग और जमीन कारोबारी भी बिना स्वीकृति के ही हरे भरे पेड़ों को काटकर इतिश्री कर लेते हैं।