नियमों की उड़ाई जा रही है धज्जियां, शिक्षा विभाग आखिर क्यों है मौन

शिवपुरी। जिले में इन दिनों शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल खुलने का समय अब नजदीक आ गया और प्राइवेट स्कूल संचालकों की दुकाने भी सजने लगी है क्यों की अब स्कूल संचालक पालकों से कहेंगे की जाओ उस दुकान से ड्रेस लेलो और उस दुकान से कोर्स लेलो फिर क्या पालको को खूब लूटा जायेगा और स्कूल संचालकों की बल्ले बल्ले होगी। 

क्यों की स्कूल संचालकों ने पहले से ही अपनी दुकाने कमीशन देके फिक्स कर के रखी है मरना होगा ऐसे में पलकों का क्यों की उनकी जेव से अच्छी खा सी रकम को निकलवाना इन स्कूल संचालको का व खूबी आता है और ये सब आला धिकारियों की नाक के ही निचे चलता है लेकिन कार्यवाही कुछ भी नहीं होती है। शिक्षा विभाग की मौन स्बीकृति आखिर इन पर क्यों बनी हुई हैै। 

बिना मान्यता के संचालित है कुछ विद्यालय 
कोलारस,में कई स्कूल तो बिना मान्यता के ही संचालित हो रहे है अगर शिक्षा विभाग इन विद्यालयों की बारीकी से परीक्षण कर लिया जाए तो इन विद्यालयों में से आधा दर्जन से अधिक विद्यालय बंद हो जायेंगे। जबकि विद्यालय चलाने के कई माप दण्ड शिक्षा विभाग ने निर्धारित कर रखे लेकिन इन विद्यालय संचालकों द्वारा उन माप दण्डों को दरकिनार करके रखा फिर शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।  

चार कमरे और तलघरों में संचालित है विद्यालय 
शिक्षा विभाग के नियम अनुसार तो स्कूल खुले वातावरण और खेल मैदान के साथ होना चाइये पर यहाँ भी इनका लेनदेन के चलते काम हो जाता है कोलारस में देखा जाए तो हर गली महोल्ले में स्कूल चल रहे है जिनके पास न तो बालक बालिकाओं को बैठने को उचित स्थान है ना ही खेल कूंद का मैदान कई स्कूल तो तलघरों चार कमरों में ही ही संचालित हो रहे हैं। इन सबके पीछे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत बताई जा रही है। क्योंकि वह विद्यालयों का निरीक्षण करने आते हैं तो उन्हें यह विद्यालय संचालकों के कार्यनामे दिखाई नहीं देते हैं। 

मजाक बनकर रह गर्ई है आरटीई
प्रदेश शासन ने योजना चलाई की कोइ भी गरीब बच्चा शहर के प्राईवेट विद्यालय अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण कर शिक्ष हो सके लेकिन।  इसका  लाभ गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि विद्यालय संचालक अपने चहते लोगों को भर्ती कर इतिश्री कर लेते हैं। जबकि  प्राइवेट स्कूल संचालक विद्यालय के बच्चों के ही नाम आरटीई शिक्षा पद्धति के माध्यम दर्ज कर  शासन को लाखो करोंड़ो का चुना भी लगा दिया जाता है शासन की उक्त मत्वाकांक्षी योजना महज एक मजाक बनकर रह गई है। शासन द्वारा जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के कंधों पर उक्त कार्य पर निगरानी रखने के लिए तैनात किया है वे महज कुछ चांदी के सिक्कों की खनक के आगे नतमस्तक होकर शासकीय नियमों को धता बता रहे हैं।

विद्यालयों में नहीं है प्रशिक्षित शिक्षक 
शासन द्वारा निजी विद्यालयों को स्पष्ट आदेश दिए थे कि विद्यालयों में बीएड अथवा डीएड प्रशिक्षित शिक्षकों को ही शिक्षण कार्य के लिए तैनात किया जाए। लेकिन विद्यालय संचालकों द्वारा जिले में पदस्थ अधिकारियों से सांठ-गांठ कर अप्रशिक्षित शिक्षकों को तैनात कर रखा है। साथ ही विद्यालय संचालकों द्वारा कुछ प्रशिक्षित शिक्षकों की अंकसूची शासकीय कार्यालय में शामिल कर शासन तथा प्रशासन की आंखों में सरेआम धूल झोंकी जा रही है। जिन्हें शासकीय कर्मचारियों व अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। जिसके कारण निजी विद्यालय संचालकों के हौंसले बुलंद बने हुए हैं।