चैक अनादरण के मामले में अभियुक्त दोष मुक्त

शिवपुरी। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री अभिषेक सक्सेना ने एक लाख दस हजार रूपए के चैैक अनादरण के मामले में अभियुक्त दिनेश कुमार धाकड़ पुत्र पुन्नाराम धाकड़ को दोष मुक्त कर दिया है। न्यायालय ने अपने फैंसले में लिखा है कि यह प्रमाणित नहीं होता है कि चैक अभियुक्त द्वारा परिवादी को एक लाख दस हजार रूपए के ऋण के उनमोचन के लिए प्रदान किया गया था। यह भी साक्ष्य से प्रमाणित नहीं हुआ कि चैक अभियुक्त के व्यक्तिगत खाते का या पटेल कृषि सेवा केन्द्र के प्रोपरार्ईटर होने के नाते अभियुक्त द्वारा जारी किया गया था। अभियुक्त  को सूचना पत्र प्राप्त होना भी प्रमाणित नहीं होता है। 

शिकायत कर्ता धर्मचन्द्र जैन ने ऐसे किसी व्यक्ति को साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया जिसके समक्ष परिवादी ने अभियुक्त को उक्त दवार्ईयां विक्रय की हौं या जिसके माध्यम से उक्त दवार्ईयां प्रेषित की गर्ई हों। इन तथ्यों के प्रक्राश में न्यायालय ने अभियुक्त को पराक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत दोष मुक्त कर दिया है। अभियुक्त की ओर से एड. आलोक श्रीवास्तव, निखिल सक्सेना और संजय शर्मा ने पैरवी की।

परिवादी धर्मचन्द्र जैन द्वारा न्यायालय के समक्ष व्यक्त की गई कहानी के अनुसार उसकी न्यूब्लॉक शिवपुरी में फर्टीलार्ईजर खाद एवं दवाईयों की छाजेड़ बन्धु नामक दुकान है। उसके और अभियुक्त के मध्य अच्छे संबंध होने के आधार पर अभियुक्त ने दिनांक 5.9.2014 को उसके संस्थान से फर्टीलार्ईजर खाद एवं दवाईयां  उधार क्रय की थी जिसके एवज में अभियुक्त ने एचडीएफसी बैंक शाखा शिवपुरी का 1 लाख 10 हजार रूपए का चैक उसे प्रदान किया था। 

जब उस चैैक को भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक शाखा गुरूद्वारा शिवपुरी में प्रस्तुत किया गया तो अभियुक्त के खाते में अपर्याप्त निधि होने के कारण उक्त चैक बिना भुगतान किए वापस कर दिया गया। जिसकी सूचना परिवादी ने अभियुक्त को जरिये सूचना पत्र के द्वारा दी गर्ई और सूचना पत्र प्राप्त होने के 15 दिवस के भीतर चैक का भुगतान करने को कहा। परन्तु चैैक राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिससे विवश होकर उसे परक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के अंतर्र्गत परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।