
धीरे-धीरे बच्चों की पढ़ाई में सुधार आता देख गांव वाले भी उनके इस मिशन में शामिल हो गए और आपसी सहयोग से सबने मिलकर उनको वहां पर कमरा बनवा दिया आज 7 वर्ष बाद करीब 150 बच्चे योगी की पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
इतना ही नही श्री योगी बच्चों के साथ ही इछुक ग्रामीणों को भी साक्षर कर रहे है। इसके लिए वह किसी से भी एक पैसा नही लेते बल्कि बच्चो की शिक्षा के लिए वह अपनी पेंशन तक दान कर रह है।
योगी जी की कक्षा की शुरूआत प्रार्थना से होती है और शनिवार तथा मंगलवार को कक्षा शुरू करने से पहले वह बच्चो को सुन्दरकाण्ड ओर हनुमान चालीसा का पाठ कराते है वह भी स्वर मे। इसके बाद बच्चो के स्तर अनुसार उन्हे हिन्दी आंग्रेजी और गणित का ज्ञान देते है।
नाम ही नहीं कर्म से भी बने योगी
घनश्याम दास योगी जो नाम से ही नहीं अपने काम से भी कर्मयोगी है करेरा नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 2 के निवासी घनश्याम दास योगी ने सेवानिवृत्ति के बाद सुख सुविधाओं के सभी आधुनिक संसाधन घर-परिवार छोडक़र ग्राम बडौरा के मजरा फुर्तला के हार में स्थित खाती बाबा के स्थान को अपनी कर्म स्थली बनाया है।
6 माह खुले असामान के नीचे गुजारे
घनश्यामदास योगी बताते है कि 7 साल पहले जब वह यहा आए तो 6 महीने तक खुले आसमान के नीचे ही उनका बसेरा एक तखत पर रहा रात्रि मे भी आसमान के नीचे सोए ग्रामीणे ने गांव में चल कर रहने का अग्रह किया लेकिन उन्हौने खाती बाबा के स्थान पर चिरोल के विशाल वृक्ष के नीचे जहां वह बच्चो को पढाते है रहना उचित माना हालाकि अब ग्रामीणो ने जन सहयोग कर यहा एक पक्के कमरे का निर्माण करा दिया है जिसमे वह रहते है।