बडी खबर: राजे राजनीति को कह सकती है अलविदा,अपातकाल जैसा संकट

शिवपुरी। आज 1 अप्रैल है सम्मानीय पाठक इस खबर को फस्ट अप्रैल की खबर न समझे। इस समय राजे की स्वयं की विधाान सभा शिवपुरी , राजे का सरदर्द  बन गई है। प्रदेश की सबसे ताकतवर कैबीनेट मंत्री अपनी विधान सभा को समस्याओ से आजादी दिलाने के लिए संघर्ष कर रही है। और इसी पीड़ा को उन्होने एक अभिभाषको के एक कार्यक्रम में बया किया है। 

कल रात जिला अभिभाषक संघ के शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि यदि वह अपने वर्र्तमान कार्यकाल में शिवपुरी को स्वर्र्ग नहीं बना पार्ई तो राजनीति को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह देंगी। क्योंकि असफल होकर राजनीति करना उनके स्वभाव में नहीं है। 

शपथ ग्रहण समारोह में यशोधरा राजे ने विस्तार से बताया कि किस तरह उन्होंने सन् 1998 से 2007 तक शिवपुरी के प्रतिनिधि के रूप में कार्र्य कर यहां विकास की गंगा बहार्ई थी और तत्पश्चात उनके ग्वालियर जाने के बाद किस तरह से उनके उत्तराधिकारियों ने उनकी एफडी में दीमक लगा दी थी। 

शपथ ग्रहण समारोह की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरबी कुमार ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य अभिभाषक संघ के जेपी मिश्रा और प्रबल प्रताप सिंह उपस्थित थे। अभिभाषक संघ के पदाधिकारियों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरबी कुमार ने शपथ ग्रहण कराई। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन अभिभाषक विनोद धाकड़ ने किया।

शपथ ग्रहण समारोह में यशोधरा राजे ने बताया कि सन् 2013 में जब वह पुन: शिवपुरी आर्ई तो उन्हें आभास नहीं था कि शिवपुरी के हालात इतने बिगड़ चुके हैं और विकास की दृष्टि से शिवपुरी पटरी से उतर चुकी है। उन्होंने यह कहने में संकोच नहीं किया कि यदि उन्हें ऐसा आभास होता तो वह अपने कदम पीछे खींचकर शिवपुरी नहीं आती। 

लेकिन एक बार जब मैने यहां आकर चैलेंज स्वीकार कर लिया है तो उससे पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। क्योंकि मैं किसी और मिट्टी की बनी हुई हूं। समारोह में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरबी कुमार के अलावा, अध्यक्ष स्वरूप नारायण भान, उपाध्यक्ष राजेश जाट, महामंत्री सुनील भुगड़ा, कोषाध्यक्ष भरत ओझा, वरिष्ठ अभिभाषक केबी लाल ने भी संबोधित किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए वहीं आभार प्रदर्र्शन की रस्म सुनील भुगड़ा ने निर्र्वहन की।

आपात काल की परेशानियों ने मुझे बनाया मजबूत
यशोधरा राजे ने कहा कि शिवपुरी में जिस तरह के संकट का मैने पिछले दिनों सामना किया है वह संकट ठीक उस तरह का था जब मैने आपात काल की पीड़ा को भोगा था। 

उस दौरान मेरी माँ स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया जेल में थी और मेरे भार्ई स्व. माधवराव सिंधिया विदेश में थे। इसलिए परेशानियों का मैने स्वयं अकेले होकर सामना किया, लेकिन इससे मेरे व्यक्तित्व में धार पैदा हुर्ई और समस्याओं को फेस करना मुझे आया। व्यक्तित्व की उसी पैनी धार के कारण ही मैं आज शिवपुरी की समस्याओं से जूझ कर उन पर विजयपाने में लगी हुई हूं।