@ललित मुदगल। शिवपुरी की लाईफ लाईन सिंध जल परियोजना की आस अभी भी शहर को बनी है। अगर शहर भूल भी जाता है तो नेताओं के दौरे और सरकारी प्रेस नोट याद दिला देते है कि सिंध प्रोजेक्ट जो बीरबल की खिचडी से भी जाना जाने लगा है वह पूर्णत: मृत नही हुआ है अभी जिंदा है।अभी हाल में शिवपुरी की विधायक और कहने को प्रदेश की सबसे ताकतवर कैबीनेट मंत्री यशोधरा राज का दौरा संपन्न हुआ है। वह इस बार इस बीरबल की खिचड़ी के पकने की डेट लाईन तो नही दी गई पूरी उम्मीद है कि है कि जल्दी यह खिचडी पक जाऐगी।
मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मड़ीखेड़ा सिंध प्रोजेक्ट की वस्तुस्थिति जानने स्वयं मड़ीखेड़ा इंटेकवेल से लेकर सतनवाड़ा फिल्टर प्लांट तक निरीक्षण किया और यह संभावनाएं जानने का प्रयास किया कि शिवपुरी की जनता को सिंध का पानी कब तक नसीब हो पाएगा।
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी के कर्ताधर्ता रक्षित दोशी ने कहा कि हम इस योजना का 15 अप्रैल तक पानी सतनवाड़ा फिल्टर प्लांट तक आ जाएगा और कंपनी के दावे को मानें तो वह 15 मई तक शिवपुरी तक पानी लाने का दावा कर रही है।लेकिन इन दावो और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर नजर आ रही है
फरवरी माह में जो पंप मड़ीखेड़ा स्थिति इंटेकवेल में लगने थे वह पंप अब तक शिवपुरी ही नहीं आए हैं, जबकि मड़ीखेड़ा से सतनवाड़ा के बीच 14 किमी की लाइन अब तक पूरी नहीं हो सकी है और न ही इसका हाईड्रो टेस्ट हो पाया है।
अभी तक यह देखा गया है कि इस योजना की बैठको में यशोधरा राजे या संसाद ज्योतिरादित्य होते है या लेते है उस दिन प्रशासन का पूरा अमला कसमे खाता है कि अब देर नही परन्तु उनके जाते है यह जोश ऐसे गायब हो जाता है जैसे गधे के सर से सिंग।
कुल मिलाकर जनता को यह विशवास अवश्य है कि किसी न किसी दिन यह बीरबल की िाचड़ी तो पकेगी। लेकिन जनता ने इस बार भी पिछले कई गर्मियो की तरह अपने कट्टी कल्चर को पकड लिया है। घर में रखी स्टोरो में से फिर कट्टी निकालने की कवायाद शुरू हो चुकी है। आने वाले 4 माह में पानी की जंग से लडऩे को तैयार हो चुका है शहर।